जिस राम जन्म भूमि आंदोलन की बैसाखी के बल पर टिककर भाजपा खड़ी हुई ! और इसी आंदोलन का समर्थन कर आर एस एस ने समाज में सम्मान और स्थान बनाया ! और सबसे पहले सिंघल ने ही नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कराया ! और तीन सौ सीट जितने का विशवास जताया उस सत्ता के प्रणेता के जीवन का संकल्प एक आस एक उम्मीद राम जन्म भूमि राम मंदिर के विषय में उसके मौन होते ही ! सब किनारा कर गये मोदीजी ने अपनी श्रदांजलि में उनके द्वाराचलाये सेवा प्रकल्पों का उल्लेख किया ! लेकिन उनके स्वप्न उनके संघर्ष और आंदोलन को अनदेखा कर गये ! भाजपा या संघ किसी ने भी उन्हें राम मंदिर या रामजन्मभूमि आंदोलन से परिभाषित नही किया ! अशोक सिंघल को सच्ची श्रदांजलि तब होती जब नरेंद्र मोदी उनके अधूरे स्वप्न राम मंदिर संकल्प पर अपनी भावना प्रगट करते अपना रुख स्पष्ट करते !
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