Tuesday 29 November 2016

आर्थिक मंदी के दौर में कालाधन अर्थ व्यवस्था सम्हालने में काम आता है । ऐसे ही कुछ अखिलेश  यादव  के बयान की बहुत आलोचना हुई । और अब लडखडाती अर्थ व्यवस्था और बैंको में डूबत कर्ज से गहराए वित्तीय संकट से उबरने के लिए कालेधन से 50 प्रतिशत की पाटर्नरशीप बिल  संसद में  पास कर मोदी सरकार ने   इस बात की सत्यता की पुष्टि करदी है ?

Monday 28 November 2016

मुंह में राम बगल में छुरी मोदी ऐसी क्या थी तेरी मज़बूरी ? जबकि देश की जनता तेरे साथ थी पूरी ?

कड़वा सच ? मोदी की बारूद फूस ?// कालेधन वालो की विजय // केन्द्र की चोटी सरकार ?
भारत दुनिया का पहला देश है जहाँ की सरकार ने चोरी बेईमानी भ्रष्टाचार को क़ानूनी मान्यता दे दी ? और सरकार को उसमे ५० प्रतिशत का पाटर्नर बनाया ? यदि खाली सरकारी खजाने को कालेधन से भरने और हजारो करोड़ो के अपने चहेतो के लोन और टेक्स माफ़ करने के लिए बैंक को फंड उपलब्ध कराने हेतु किये गए मोदी के ड्रामे ने सारे देश की जनता और देश को कठिनाईयो में डाला ? मोदी की ये नोटँकी कालाधन और भ्रष्टाचार समाप्त करने की नही बल्कि उसको सफ़ेद करने की थी ये बिल लोकसभा में पास कराकर मोदी ने  येन केन प्रकारेण अपनी नियत को  स्पष्ट कर दिया  ? और इसको हमेशा केलिए कालेधन को सफ़ेद करने का कानून बना दिया ? विपक्ष को चाहिए अपनी सकारात्मक भूमिका निभाते हुए राज्यसभा में ये बिल जनहित में पास न होने दे ?
और भ्रष्टाचार और कालेधन वालो के प्रति मोदी के बदनीयती को बेनकाब करे ? क्या इस धोखेबाजी के लिये देश की जनता ने इतनी तकलीफ उठाकर मोदी को इतना प्यार और सम्मान दिया की कालाधन सफ़ेद कर दे ? भ्रष्टाचार की कमाई को कानूनू मान्यता दे ५० / ५० प्रतिशत बाँट ले ?
सीधी भाषा में मोदी ने देश की जनता को छला है ? उनकी आँखों में मिर्ची झोक दी ऐसा विशवास घात आज तक देश और दुनिया की किसी सरकारने अपने देश की जनता के साथ नही किया ?

भागते छुपते मिलते बिछुड़ते विपक्ष के लिये ?

  कड़वा सच ?//   //
भागते  छुपते  मिलते बिछुड़ते  विपक्ष  के लिये आज  भाजपा  नही  मोदी सबसे बड़ी  परेशानी  है ? अनाड़ी  विपक्ष  यदि समझदारी से काम लेता  और कालाधन  भ्रष्टाचार  के मुद्दे पर देश हित में आवाज मिलाता तो इस  आर्थिक क्रान्ति का मोदी अकेला  सारी लोकप्रिता का हक़दार नही हो पाता ? जिस तरह नितीश ने  अपनी इमेज  क्रिएट की  विपक्ष  समझ पाता  तो  सम्पूर्ण  क्रांति  का नारा   दोहराता  /  और  कांग्रेस को तो विचलित  होने की आवश्यकता ही नही  वो  इतने सारे सहयोगी दलो पर टिक्की थी की इतने  कड़े फैसले  लेना संभव नही था ?  आवश्यकता तो इस बात की थी  की  जंतर  मन्तर पर  अण्णा हजारे के मंच पर इस  विवशता   का एलान  सोनिया या राहुल ने जाकर करना था ? जब अन्ना चिल्ला चिल्ला के बुला  रहा था / अभी भी  वक्त है  मोदीजी ने पचास  दिन में सारी व्यवस्थाओ को ठीक ठाक  करने का  समय माँगा  है लेकिन  हालात स्पष्ट है की  इतनी  जल्दी इतनी अव्यवस्थाएं ठीक नही हो सकती  क्योकि  आपरेटर  कितना  भी  अच्छा हो मशनरी तो जंग खाई  हुई है  और  बैंकिग  व्यवस्था   ने अपना रंग  दिखा  ही दिया   किसके  तार  कहाँ  जुड़े  है  ?  उस पर ध्यान दो ? पचास  दिन  इंतजार करो  उसके बाद   समय  और परिस्तिथियो  के अनुसार  कार्यवाही को  अंजाम  दो  ?

Saturday 26 November 2016

क्या रिजर्व बैक भी षड्यंत्रकारी नहीं है !

Sunday, 27 November 2016 
कड़वा सच ?
क्या रिजर्व बैक भी षड्यंत्रकारी नहीं है !
३०० करोड़ की सब सीडी लेकर डकारने के बाद भी टाटा का नेनो कारखाना बंद हो जाता है !
६००० हजार करोड़ रुपया बैक का पचाकर विजय माल्या और उसका बेटा एय्याशी में लिप्त हो किंग फिशर एयरलाइंस को डूबा ने का दांव खेल विदेश भाग जाता है ! कुल साढ़े चार लाख करोड़ से भी ज्यादा रुपया मात्र ३६ कार्पोरेट घरानो पर बकाया है ! जिसे बैंक ने डूबत ऋण मानते हुए यह मानलिया की वसूली संभव नही ! क्या रिजर्व बैंक का इन पर कोई नियंत्रण नही क्या नेशनलाइज बैंक केंद्र सरकार की दामाद है ? जो रिश्वत खाकर देश का रुपया फूक रहे ! वही दूसरी और सहकारी बैक जो देश की ८० प्रतिशत ग्रामीण जनता की आर्थिक जरूरते पूरी करते है/ उनकी विश्वसनीयता पर सरकार ने उन्हें नोटबंदी की कार्यवाही से दूर रख कर प्रश्नचिन्ह लगा दिया ? जब रिजर्व बैंक से निकले नए नोट पूरी तरह बैंक में पहुंचने के पहले लाखो की संख्या में  ट्रेवल करते पकडे जाते ये फाल्ट किसका  रिजर्व बैंक  की संलिप्तता जगजाहिर  हो चुकी है ? जबकि सहकारी बैंक को सरकार से या रिजर्व बैक से एक रूपये की सहायता भी नही दी जाती ! ये बैंक अपने निज प्रयासों से पैसा जमाकर सदस्यों की मदद करते है ! उन पर हजारो नियम कायदे दम घोटु वातावरण निर्मित कर इनके सदस्यो का नेचर और उनकी परिस्तिथियो को जाने समझे बिना विदेशी बैको के विस्तार के लिये एन पी ए का स्वांग कर इनको बंद कराने का षड्यंत्र क्या देश हित में है !
कड़वा सच ??
भारतीय राजनीती  वीभत्स  स्वरूप  ले  अपने   चरम  पर   है  क्योकि  भारत  के  विपक्ष  के  राजनेताओ  के सामने करो  या  मरो   के  सिवाय   कोई  रास्ता  नही है ?  जब  आदमी  की   दौलत  और  शोहरत  दोनों  एक  साथ लुट जाने  को  है ?  तो   उसके  बाद  जीने  की   वजह  ही  न रहेगी ? अत; ये लोग  किस भी  हद  तक  जा सकते अंदेशा  है कि  विरोध आंदोलन  के  दरम्यान  हिंसा और  अराजकता  का  सामना  सरकार को  करना  पड़  सकता है /

Thursday 24 November 2016

वो कहता है तो कांग्रेस मुक्त भारत कर के रहेगा ?

कड़वा सच ?                                                                                                                                          अपने  विवेक हिन्  नेताओ की वजह से  काग्रेस   बदनाम  हो गयी। पहले दिग्विजयसिह ने खूब उलूल जुलूल  बयानबाजी कर  के अपनी छवि हिन्दू विरोधी बनाई ? फिर आतंकियों को सम्मान दे कांग्रेस की छवि  राष्ट्र विरोधी बनाई ? और अब राज्यसभा में  गुलाम नबी  आजाद ने  रही सही कसर  पूरी कर डाली पक्की मोहर लगा ली ? और  अब बिना समय गवाए demonetization का विरोध कर के कांग्रेस  भष्टाचारियो और काले धन वालों के साथ नज़र आ रही हैं। अब थोड़ा संभलने की कोशिश करें  लोग  भूल जाये  तो मोदी जनता को भूलने नहीं  देगा ? वो  कहता है तो  कांग्रेस मुक्त भारत कर के रहेगा ?  जिसमे  कांग्रेस  के  नेता  दिग्गी  गुलामनबी  आजाद  और  आनंद  शर्मा  का  महत्वपूर्ण  योगदान  रहेगा  ?

Friday 18 November 2016

// राहुल की दिशा हिन् राजनीती फीकी है सरस नही //

// राहुल की  दिशा  हिन्  राजनीती फीकी है सरस नही //
राहुल की राजनीती फीकी है सरस नही ! क्योकि ये भावना प्रधान देश है और सोनिया राहुल को लोगो की भावनाओ को भड़काना नही आता वे दोनों इसीलिए असफल है ! जबकि इसी हथियार से प्रियंकाजी ने माँ बेटे को जीत दिलवाई ! राहुल के लिए बेहतर है लोगो से भावनात्मक रूप से जुड़े बाप और दादी की शहादत को नजर अंदाज न करे और मोदी का नाम लेना बंद करे ? जनता खुद बखुद शौर मचाएगी लेकिन आप आलोचना करोगे तो सिम्पेथी मोदीजी के साथ जाएगी और बीजेपी आप को अपने कायर्काल का आईना दिखाएगी और कांग्रेस मुक्त भारत की भविष्यवाणी चरितार्थ हो जायगी ? इसलिये बेहतर है इन सब बातो को ठंडी होने तक अपने संगठन को ग्रास रूट तक मजबूत करो ! देशहित में अच्छे कार्यो की प्रशंसा करने की आदत डालो जनता की सहानुभूति मिलेगी क्योकि भारत का लोकतंत्र नीतियों से नही दिल से चलता है ? दिल जितने की कला आना चाहिए ! केजरीवाल की तरह मीडिया में बने रहने के लिये मोदी से कंपीटिशन कर राष्ट्र हित के खिलाफ उलुल जुलूल बयान बाजी कर अपने प्रति लोगो में नफरत पैदा न करे ? क्योकि ये आपा धापी चार दिन की है अभी जनता को जो बेहतर लगा रहा है उसके नतीजे भी बेहतर आने लगे तो ? मुँह छुपाना मुश्किल होगा अत: बेहतर है चुप रहे समय का इंतजार करे ? समय बड़ा बलवान होता है ?

Wednesday 16 November 2016

जनता सब देख समझ रही है उन्हें मजा जरूर चखाएगी ?

  कड़वा सच ? भीड़ लाइन और भगदड़ से हमारा पुराना रोज मरे का नाता है तीज त्यौहार पर मन्दिर मेले नदी घाट पर मात्र अफवाह फैलने से वीभत्स घटनाओ में जन धन की हानि आम बात है / तो देश के लिए लाइन लगाने में और कोइ अनहोनी हो जाने में हायतोबा क्यों ? आज जो थोड़े दिनों की तकलीफ है सब कुछ सामान्य होने के बाद देश की जनता सब भूल जायेगी ? लेकिन जो राजनेता कालेधन और भ्र्ष्टाचार का समर्थन कर है और इस कदम का विरोध कर देशवासियो को उकसाकर देश में आशांति और हिंसा भड़काने की भरसक कोशिश कर रहे जनता उन्हें मजा जरूर चखाएगी //

Monday 14 November 2016

// खोटा नारियल होली में // ?

  कड़वा सच ? //  खोटा  नारियल  होली में  // ?
उतर प्रदेश के  यादवी  संधर्ष में  चाचा भतीजे सब एक  हो गये  और इस संधर्ष  की   जिम्मेदारी  रामगोपाल यादव के माथे  ठोंक   शिवपाल ने  रामपाल को  पार्टी से निकाला ? अपना सिक्का जमाया और  अखिलेश पर जो गुस्सा था  रामगोपाल पर उतारा ? अखिलेश तो अभी यादवी बारात का दूल्हा  है  उसने  भी  यह कह कर की  फैसला  नेताजी करेगे अपना पीछा छुड़ाया // खोटा  नारियल होली में  रामगोपाल  बेचारा ?

Wednesday 9 November 2016

कड़वा सच ? / भारी करी रे नमोनाथ जानी करि सकियो कोई उंगली तूने घुसेड दियो पुरो हाथ ?

कड़वा सच ? // भारी करी रे नमोनाथ जान नी करि सकियो कोई उंगली तूने घुसेड दियो   पुरो हाथ ? स्वतन्त्र भारत के इतिहास में अच्छे दिन आ गए ? भ्र्ष्टाचार कालेधन और मंहगाई के खिलाफ ये साहसिक फैसला लेने का सामर्थ केवल मोदीजी जैसा लोह पुरुष ही ले सकता है / लोकहित के इस क्रन्तिकारी निर्णय के विरोध में जो उल्लूल जुलूल विधवा विलाप कर गन्दी राजनीती पिरोह रहे वे अपनी बच्ची कुच्ची राजनीतिक जमीन से भी हाथ दो रहे ? सही और अच्छी बात को स्वीकार करने के लिए नैतिक बल चाहिए जो विरोधी दलो में नही है ? जबकि राष्ट्रहित और जनहित के फैसले निहित राजनीतिक स्वार्थ से नही देखे जाते / लेकिन सीमा पर आतंकवाद के खिलाफ और देश में कालाधन और भ्र्ष्टाचार के विरुद्ध मोदीजी द्वारा की जा रही सर्जिकल स्ट्राइक का विरोध राजनितिक सोच का दिवालियापन है ?