Sunday 9 August 2020

मध्यमवर्ग से की मोदी ने बेवफाई

 कडवा सच ।।                                                                     प्रधान मंत्री फिर एक बार किसानों के लिए लाखो करोड़ो का पैकेज  की घोषणा कर रहे , कारपोरेट जगत को भी तमाम रियायत दे रहे , लेकिन क्या सिर्फ ये ही सरकार बनवाने वाले है , जबकि भजपा समर्थक और मोदी  अंधभक्त  मध्यमवर्गीय और निम्न मध्यमवर्गीय तबका  कॅरोना  के कारण  आज  सबसे ज्यादा पीड़ित है , शासकीय सेवको को छोड़ बाकी छोटे व्यवसायी , सेल्फ एम्प्लाई प्रायवेट नोकरी पेशा  लोगो की व्यथा असहनीय है , और  ये समाज का वो मर्यादित तबका है जो मांगने  के नाम से ही मर जाता है अपने हक के लिए  लड़ना भी  इसे  नही आता  है,। नवजवानों की प्रायवेट जॉब जा रही तनख्वाह आधी भी बमुश्किल नही दी जा रही , इनके अपने परिवार के खर्चे चलाना मुश्किल  उस पर  कर्ज ,का बोझ  विवाह  बीमारी ,अन्य पारिवारिक  आवश्यकताओं के लिए लिया गया अनुत्पादक  एम्प्लाईयो की संस्थाओं , जाती समाज की साख संथाओं, को,आप सोसायटी बैंक के  ऋण  की  किश्ते उस पर 14 प्रतिशत ब्याज , लेकिन  इनका  न  करे  कोई  मूल तो  दूर ब्याज भी माफ , इन्हें किसी प्रकार की भी कोई  राहत न रहनुमाई  सारी  महगाई , की   मार भी इनके  ही माथे  आई ,पेट्रोल डीजल गेस सब पर जमकर दे रहे ये  टेक्स  ,बिजली बिलों से इनकी है आंख चुंधयाई , इन पर तो  भारी शामत  आई , इनके पास आत्म सम्मान के लिये , आत्महत्या  के  अलावा  कोई रास्त  नही  बचा ,  इन्हें मोदी और भजपा  से प्यार  बहुत  मंहगा पड़ा अब  आगे निर्णय  सोच समझकर लेना होगा ,  देश  अब हिन्दू मुस्लिम  करने वालो के  नही    मध्यमवर्ग  की  मुसीबत  समझने और दूर करने वालो के हाथों में देना   होगा ।

Monday 3 August 2020

ऐसे थे हमारे सतीश दादा ।।


सतीश दादा को में उनके।सहकर्मी के रूप में अक्सर मजाक में मैं  जितेंद्रिय  कहता था, जिसने अपनी इंद्रियों  को जीत लिया है ,।
सतीश दादा को कोई व्यसन chu नही पाया,  मेने वर्षो साथ सहकर्मी ,नजदीकी होने के बाद भी कभी दादा को कोई चीज की लालसा, महत्वकांशा,  ईर्ष्या  बुराई चुगली , यहां  तक कि झूठ नही बोलने  पर  भी विजय हासिल थी , एक  मोके  पर हम दोनों ही सिर्फ उपस्तिथ थे, एक व्यक्ति आता दिखा मेने छुपते हुए दादा से कहा दादा  मना कर  देना ,दादा झूठ  नही बोलते थे तभी, में छुप गया आगन्तुक ने पूछा धीरज कहाँ  है , दादा बोले मुझे नही  मालूम , कब आता मुझे नही पता , आगन्तुक बोला तुम्हारे   साथ नोकरी करता तुम्हे नही मालूम, दादा का अपनी शैली के मुताबिक सपष्ट जवाब , मुझे इस बात की तनख्वाह बैंक नही  देती,।वो आधे घंटे बैठा रहा ,दादा ने एक शब्द भी उससे बात नही की ,
थक हार के आधे घंटे बाद में सामने आया , मुझे देखते ही आगन्तुक चिल्लाकर बोलो कोन हे ये यार ढंग से  बात ही नही करता , जब मैने पूरा वाकिया बताया और उसे मालूम हुआ इस युग में भी झूठ नही बोलने वाला मिला उसने दादा के प्रति बहुत सम्मान प्रगट किया ,वो व्यक्ति तब भी शहर।की सेलेब्रेटी थे आज भी है ।ऐसे थे हमारे सतीश दादा उनकी स्पष्टवादिता से बैंक का मैनेजमेंट घबराता था । ऐसा मित्र सतीश माधवराव जोशी  व्यासफ़ल जूनि इंदौर हमारे बीच अब र
नही रहा परमात्मा उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे ।