Monday 3 August 2020

ऐसे थे हमारे सतीश दादा ।।


सतीश दादा को में उनके।सहकर्मी के रूप में अक्सर मजाक में मैं  जितेंद्रिय  कहता था, जिसने अपनी इंद्रियों  को जीत लिया है ,।
सतीश दादा को कोई व्यसन chu नही पाया,  मेने वर्षो साथ सहकर्मी ,नजदीकी होने के बाद भी कभी दादा को कोई चीज की लालसा, महत्वकांशा,  ईर्ष्या  बुराई चुगली , यहां  तक कि झूठ नही बोलने  पर  भी विजय हासिल थी , एक  मोके  पर हम दोनों ही सिर्फ उपस्तिथ थे, एक व्यक्ति आता दिखा मेने छुपते हुए दादा से कहा दादा  मना कर  देना ,दादा झूठ  नही बोलते थे तभी, में छुप गया आगन्तुक ने पूछा धीरज कहाँ  है , दादा बोले मुझे नही  मालूम , कब आता मुझे नही पता , आगन्तुक बोला तुम्हारे   साथ नोकरी करता तुम्हे नही मालूम, दादा का अपनी शैली के मुताबिक सपष्ट जवाब , मुझे इस बात की तनख्वाह बैंक नही  देती,।वो आधे घंटे बैठा रहा ,दादा ने एक शब्द भी उससे बात नही की ,
थक हार के आधे घंटे बाद में सामने आया , मुझे देखते ही आगन्तुक चिल्लाकर बोलो कोन हे ये यार ढंग से  बात ही नही करता , जब मैने पूरा वाकिया बताया और उसे मालूम हुआ इस युग में भी झूठ नही बोलने वाला मिला उसने दादा के प्रति बहुत सम्मान प्रगट किया ,वो व्यक्ति तब भी शहर।की सेलेब्रेटी थे आज भी है ।ऐसे थे हमारे सतीश दादा उनकी स्पष्टवादिता से बैंक का मैनेजमेंट घबराता था । ऐसा मित्र सतीश माधवराव जोशी  व्यासफ़ल जूनि इंदौर हमारे बीच अब र
नही रहा परमात्मा उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे ।

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