Wednesday 13 June 2018

 परम् आदरणीया  अमृतासिहजी ,                                                                                                                                                        आधुनिक विचारो वाली एक पत्रकार  होते  ,हुए भी   आपने   एक सच्ची भारतीय नारी  की तरह नर्मदा  परिक्रमा में  साथ निभाया ,  नारी जाती का  गौरव बढ़ाया , इस यात्रा  से  जुड़े  यादगार  स्मरण होंगे , हमे आपको  जानने की उत्सुकता है .,आपके सहज सरल स्वभाव  आत्मीय व्यवहार के बारे में बहुत सूना है ?

                  अत:   हमारा आपसे  अनुरोध  है कि , इंदौर में  देश के सबसे विशाल और  23 राज्यों में विस्तारित  ब्राह्मण संगठन ,जिसका  नाम वर्ड  बुक  आफ  रेकार्ड  में दर्ज है , के तत्वाधान में आयोजित '' सवर्ण  ब्राह्मण  महिला  संसद ''   का  शुभारम्भ  आपके  मुख्य आतिथ्य  में  सम्पन हो ,  आप  स्वयं पत्रकार है   समाज  का मार्गदर्शन  करना आपका धर्म  है /    आपने तो   नर्मदा  परिक्रमा  में   समाज   कि   महिलाओ की कठिनाईयो  को  बहुत  नजदीक से  महसूस  किया है   / आपके  प्रेरक  विचार   सदन को   नई दिशा  देंगे /   
कार्यक्रम ,की सम्पूर्ण रूप रेखा   विस्तार सहित  प्रेषित  है /
कृपया समय प्रदान करे /                              


                                                                                                                     आपके दर्शनाअभिलाषी

Tuesday 12 June 2018

11 प्रदेश में पूर्ण नशाबंदी ?

   .  प्रदेश में पूर्ण नशाबंदी ?
  प्रदेश में  अमन चेन  शान्ति   परिवार   में  खुशहाली, और  इससे रोज हो रहे  ,लड़ाई  झगड़े सड़क एक्सीडेंट में भी  `कमी  आएगी  तथा   आये दिन   नशे के  वशीभूत  वहशी दरिंदो  द्वार  नाबालिक बच्चियों के साथ बालत्कार  की घटनाओ में रोक लगेगी ,अध्यक्षजी  सार्वजनिक शराबीयो  की   पत्निया  और  माँ    अपने आपको समाज और परिवार में  बहुत  गिल्टी   महसूस करती है  जैसे वो कोइ अपराधी हो  उनका सर  शर्म से झुक जाता हे , शराब आदमी  पीता है लेकिन  शराब ,  शराबी   की  पत्नी और परिवार का   खून का पानी कर  देती   है ,  कितनी  वेदना मानसिक प्रताड़ना  से गुजरते हे शराबी पके परिवार वाले है   , इसलिए मेरा अनुरोध  है  , यह सदन  प्रदेश में पूर्ण शराब बंदी के  पक्ष  में   करतल ध्वनि से  अपना  समर्थन दे   /

10 महिलाओ को पैतृक सम्पति में अधिकार पाने हेतु विशेष न्यायालय गठन करने की मांग ?

 पैतृक सम्पति में अधिकार पाने हेतु विशेष न्यायालय गठन करने की मांग  और इस विषय में सामाजिक सोच में बदलाव ?
अध्यक्ष महोदय ,
महिलाओ के सम्मान और अधिकारों के लिये समय समय पर  विभिन्न नियम  कानून  बनाये गए लेकिन उनका सही क्रियान्वयन नहीं होने से  महिलाओ को इनका लाभ नहीं मिल पा रहा , जैसे  महिलाओ को  पैतृक सम्पति में  पुरुष  वारिस  के सामान बराबरी का अधिकार तो  है ,  लेकिन  उसको पाने हेतु एक बहन अपने भाईयो के खिलाफ   न्यायालय का दरवाजा खटखटाये तो  सिविल कोर्ट , हाईकोर्ट , सुप्रीम कोर्ट  तक जाए तो सारी उम्र  बीत  जाये '' हाथ पल्ले कुछ नहीं आये  और  ईश्वर  प्रदत्त  रिश्ता भी  गँवाय। 
इसलिये  हमारी गुजारिश  है , पैतृक  सम्पति संबंधी  विवादों और बटवारे हेतु विशेष न्यायालय गठित किये जाये  फेमिकी कोर्ट की तरह पहले सम्बंधित  पक्षों की कॉन्सलिंग हो ,  और समझौता नहीं होने की स्तिथि में फास्ट्रैक कोर्ट में इनका तत्काल फैसला हो ,  साथ ही अपने  जन्मसिध्द  अधिकार हेतु संधर्ष करने वाली महिलाओ के प्रति अपनी सोच को बदलना होगा ,उनके क्रन्तिकारी कदम की सराहना करना होगी उन्हें प्रोत्साहित करना होगा ?
 

9 - महिलाओ को मुखाग्नि देने, सारे उत्तर कार्य , कर्मकांड तर्पण आदि करने का अधिकार

  - महिलाओ को   मुखाग्नि देने,  सारे उत्तर कार्य , कर्मकांड  तर्पण  आदि करने का अधिकार  समाज को स्वीकार्य  हो क्योकि ,  अध्यक्ष  महोदय  आजकल  चाहे लड़का हो या लड़की एक ही   बच्चा  पालने की क्षमता  नई पीढ़ी में शेष  है ,और जब लड़का लड़की सब बराबर  है, तो अभिभावकों का उत्तरकार्य करने का लड़कियों को ससम्मान अधिकार हो। 

ब्राह्मण महिला संसद में कई विशिष्ठ महिला नेत्रीयां भाग ?

    राष्ट्रीय ब्राह्मण युवजन सभा की राष्ट्रीय संगठन महामंत्री अलका अग्निहोत्रीजी के अनुमोदन तथा राष्ट्रीय प्रवक्ता धीरज दुबे के निर्देशन पर इंदौर शहर अध्यक्ष -श्रीमती बबिता शर्मा तथा प्रदेश महामंत्री मंजू चतुर्वेदी  दवारा सरकार के स्वर्ण ब्राह्मण विरोधी रवइये,और लगातार स्वर्ण महिलाओ की उपेक्षा के कारण विवश हो , राष्ट्रीय ब्राह्मण युवजन सभा ने ''' स्वर्ण ब्राह्मण महिला संसद '' इंदौर में आयोजित करने का निर्णय लिया है , इसके पीछे कोइ राजनीती स्वार्थ नहीं है , बल्कि ब्राह्मण महिलाओ में जागृति और चेतना जगाने हेतु यह समय की मांग है , हमारा आव्हान है की देश के जातिवादी राजनैतिक दलदल में स्वर्ण ब्राह्मण समाज अपनी भूमिका प्रदेश में सरकार बनाने और बिगाड़ने में दिखाये और इस हेतु महिलाये आगे आकर मोर्चा संभाले अन्यथा स्वर्ण , ब्राह्मण हर स्तर पर नजरंदाज किये जाने लगे है ? चाहे फिर कोई ब्राह्मण कहीं पर भी हो उसे एक बार अपनी संगठित शक्ति का अहसास करना पड़ेगा , वरना ब्राह्मण अपना सामान खो देंगे ! वंदन चंदन करके थोड़े दिन आगे पीछे दौड़ भी लिये तो ज्यादा देर टिक कहाँ पाओगे हमारी जनरेशन अगड़े ,पिछड़े दलित मुस्लिम के बिच पीस कर रह जायेगी / सरकार की  वोट कबाड़ने के लिये  की गयी हर घोषणा और   योजना का खामियाजा कब तक स्वर्ण , ब्राह्मण मध्यम वर्गीय भुगतेंगे ? और जिसके कारण सबसे ज्यादा कठिनाई और तनाव हम महिलाओ को सहन करना पड़ता , अमीर को फर्क नहीं पड़ता , गरीब योजना के लाभ से मस्त  1 रु किलो गेहूं 2 किलो चावल 35 लीटर घासलेट बेचकर दारु पि रहा ,अधिकारी योजनाओ के क्रियान्वयन में मदमस्त ,मध्यमवर्गीय   जबरन   भुगते सरकारी वसूली  18 प्रकार के टेक्स उसके बाद पेट्रोल ,डीजल, गैस , बिजली ,पानी , मंहगाई, सामर्थ्य से ज्यादा मंहगी बच्चो की पढ़ाई ,फिर भी बेरोजगारी , पकोड़े   तलने  की नौबत आ गयी / ?
इसलिये अलग अलग बिखर कर ख़त्म होने से एक बार संगठित हो संकल्प ले, की जो मध्यमवर्गीय की बात करेगा , '' सम्मान से स्वर्ण ब्राह्मण को साथ लेगा ब्राह्मण उसी के साथ चलेगा '' ! वरना हम ब्राह्मणो को धार्मिकता के कारण संदेह की द्द्ष्टि से भी देखा जाता है , इस बात का भी हमे प्रमाण देना होगा की हम किसी धार्मिक राजनैतिक पार्टी के पिच्छेलगु नही है हमारा भी वजूद है, इस हेतु प्रदेश के विभिन्न प्रांतो से वहां के स्थानीय उपवर्गीय जातिगत संगठनो से इन सब बातो पर एक मत हो आगे की रूपरेखा तय करने हेतु , स्वर्ण ब्राह्मण महिला संसद का आयोजन किया जा रहा है ,   जिसमे स्वर्ण समाज की कई ख्यातनाम राजनैतिक महिला शख्सियत भाग लेनी वाली है /
अन्य जो ब्राह्मण महिला अपने विचार , प्रस्ताव रखना या कार्यक्रम में सम्मिलित होना चाहे ,वे महिला संसद प्रभारी  बबिता शर्मा  से मो 9340772394 तथा धीरज दुबे एड से मो 9893628279 पर सम्पर्क करे /अन्य प्रांतो से पधारने वाले महिला पदाधिकारी , प्रतिनिधि के आतिथ्य का पूर्ण इंतजाम इंदौर इकाई द्वारा किया गया है /

Monday 11 June 2018

8 - प्रायवेट सेक्टर में आरक्षण पदान करने का पूर्ण बहिष्कार ?

 प्रायवेट सेक्टर में   आरक्षण पदान करने का पूर्ण बहिष्कार   किया जाना चाहिये , क्योकि  सरकार  की तुष्टिकरण की नीतियों से  स्वर्ण बच्चो  ने  शाशकीय  नौकरी की उम्मीद छोड़ ही दी है , अध्यक्ष  महोदय , एक मध्य्यमवर्गीय  परिवार अपना पेट काटकाट कर बच्चो को    काबिल बनाता है  ताकी अपनी योग्यता के आधार पर वह कुछ कर सके , क्योकि  पड़ना और नौकरी करना स्वर्ण ब्राह्मण  परिवारों की युवा पीढ़ी का   मुख्य जीविकापार्जन का साधन है , यदि प्रायवेट सेक्टर में भी हमारी  युवा तरुणाई  को निराशा और हताशा  ही हाथ लगेगी तो   वे टूट जायेगे ,और यह हम अभिभावकों के लिए घोर चिंता का विषय है  जिस पर विचार करना आवश्यक है।

7 - महिलाओ हेतु 33 प्रतिशत आरक्षण शीघ्र लागू करने की माँग ?

महिलाओ हेतु 33 प्रतिशत आरक्षण  का मामला पूर्ण बहुमत की सरकार होने के बाद भी  धरातल पर नहीं उतरा  अपने मतलब के बिल  तो सरकार  धड़ाधड़  पास करवा रही ,और महिला आरक्षण मामले में  विपक्ष को दोषी ठहरने में लगी , ें दो मुंही  बातो कोहम समझते  है ,  इस हेतु प्रस्ताव पास कर सरकार को  इस संसद की भावना से अवगत कराया जाए ?

6 - स्वर्ण नौकरी पेशा बच्चो का आश्रितों के आधार पर हो , इन्कमटेक्स निर्धारण ?

  - स्वर्ण नौकरी पेशा बच्चो का आश्रितों के आधार पर हो , इन्कमटेक्स निर्धारण ?
अध्यक्षजी  में  पूछना  चाहती हूँ इस सदन से -----
 सरकार  बीमा   फंड  बांड खरीदने  मकान  जायदाद बनाने  मोटर गाडी खरीदने  यहां तक की सेर सपाटा  करने पर भी  इनकम टेक्स में छूट देती  है , लेकिन  एक मध्यमवर्गीय   परिवार  के जवाबदार बेटे को   बूढ़े  माँ -बाप  को सम्हालने  जवान बहन की शादी करने  छोटे भाई को पढ़ाने लिखाने  पर सरकार इनकम टेक्स में छूट प्रदान क्यों नहीं करती ,. .? हमरा प्रस्ताव  है  स्वर्ण  ब्राह्मण  बच्चो  आय के साथ  आश्रितों के आधार पर हो , इन्कमटेक्स निर्धारण ?

5 - परित्यगता ,विधवा विवाह को प्रोत्साहन , पुनर्वास ?

  - परित्यगता ,विधवा विवाह को प्रोत्साहन , पुनर्वास   हेतु सामाजिक सोच में बदलाव  आवश्यक है ,विधवा विधुर  विवाह की बात आती तो क्यों इनमे आपस में तालमेल भिड़ाने की  कोशिश  की जाती , कुंवारो  से इनकी शादी दोबारा  क्यों नहीं  करने की पहल की जाती                    
,  समाज को स्वीकार्य  क्यों नहीं ? विधवा परित्यगताओ  के प्रति समाज की सोच में बदलाव की  आवश्यकता  है। 

4 --- -उच्च शिक्षित गैर पेंशनधारी विधवा को साशन सम्मान निधि हर माह पेंशन स्वरूप में दे

  -उच्च शिक्षित गैर कामकाजी  बिना पेंशनधारी आर्थिक रूप से कमजोर  निराश्रित  महिलाओ तथा विधवा परित्यक्ताओ को साशन सम्मान निधि हर माह पेंशन स्वरूप में दे ? पेंशनधारीयो   की तो  आव भगत  मान सम्मान घर परिवार में  बरकरार  रहता और मरणोपरांत  पत्नी को आधी पेंशन की पात्रता है , लेकिन अन्य महिलाओ की   बड़ी दुर्दशा  है ,  मेरा सदन से  निवेदन हे की   इस  और  ध्यान देने की  विशेष  आवश्यकता है ?

3 --- बच्चो को शिक्षा के साथ रोजगार ग्यारंटी ?

  
मेरा इस सदन से अनुरोध  है ,हमारे  पूर्वज  कहते थे ये बच्चे हमारी फसल  है , किसान भी अपनी फसल को इस तरह छाती से लगाकर  बड़ी नहीं करता जैसे हम बच्चो को पालते  है  अपना सब कुछ  न्योछावर कर   अपनी सामर्थ्य  से ज्यादा   पढ़ाते   काबिल बनाते  , और रोजगार की मंडी में   कोइ  इन्हे धर्म साटे   नहीं पूछ रहा  तो  माँ बाप पर क्या गुजरती है ,एक बच्चे को सामान्य शिक्षा पर  15 से 20 लाख रु लगते है ,  और ईस कारण अध्यक्षजी   मध्यमवर्गियो ने तो  एक से ज्यादा   बच्चे   पैदा  करना ही बंद कर दिया , और इस तरह तो आने वाले समय में हम ब्राह्मणो का अस्तित्व  संकट में  है , 
इसलिये   अध्यक्षजी ,  जिस तरह  सरकार फसल ग्यारंटी  देती हे उसी तरह , हमारे बच्चो को रोजगार ग्यारंटी दे , जब तक रोजगार उपलब्ध  नहीं  होता  योग्यता के   आधार पर  सरकार मानदेय राशि दे , और उसमे  समय समय पर शाश्कीय नियमो अनुसार  बड़ोतरी करती रहे ?

2 -अप्रासंगिक हो चुकी रूढ़ियों और परम्पराओ में बदलाव , मृत्यु भोज ,मामेरा , विवाहिक फिजूल खर्ची ?

2 -अप्रासंगिक हो चुकी रूढ़ियों और परम्पराओ में बदलाव ,
देश काल और परिस्तिथियों अनुसार  हमारी रूढ़ियों  और परम्परा में आमूलचूल  बदलाव आवश्यक  है ,वैसे बच्चियों की पढ़ाई  और आत्मनिर्भरता ने दहेज प्रथा पर काफी कुछ अंकुश लगाया हे लेकिन इसका  स्थान अहंकारजनित   आडंबर  ने ले लिया  विवाह एक संस्कार   के बजाय आडंबर होता जा रहा अपना वैभव  और संम्पन्नता  दिखाने का  साधन बनता जा रहा , कर्ज  लेकर   महंगा डैकोरेशन गार्डन  अनेक स्टाल व्यंजन  ये फिजूल खर्ची अपने बच्चो के लिए नहीं  बल्कि हम  अपने वैभव प्रदर्शन हेतु  कर रहे है , में कहना चाहती हूँ  अध्यक्षजी यही  रकम नव वरवधू   को  आत्मनिर्भर और सुखी जीवन यापन करने हेतु प्रदान करना आज ज्यादा प्रासंगिक है , सच पूछा जाए  तो विवाह  सोलह संस्कारो में से एक अति महत्वपूर्ण संस्कार  है  जो केवल  कुटुम्बी  परिजन की सहभागिता  में  संम्पन्न  होना चाहिए , लेकिन  हमने इसे   समाज में स्टेटस और  व्यवहार  का जरिया बना लिया /  इसमें  मध्यम वर्गीय  बुरी तरह पीस रहा उसका कर्जा  और ब्याज कुछ माफ़ नहीं हो रहा ।  टेक्स  और मंहगाई  को रो रहा:/
अध्यक्षजी  वैसे तो  शने : शने :  अंतर्जातीय  तथा प्रेमविवाह   ने पत्रिका मिलान का चलन कम  कर दिया है , लेकिन फिर भी आज  देखने में आता है  की बार   पत्रिका  में  दोष के कारण  रिश्ता करने में बड़ी कठिनाई आती है , इस वहम को अभियान चालाकर हमे मिटाना होगा , पत्रिका मिलान का महत्व  और आवश्यकता  तब प्रासंगिक थी जब बच्चो के बाल विवाह कर दिए जाते  थे  , वर वधु  फिजिकल ही डेवलप नहीं होते तो  फ्यूचर की क्या बात  तो ? पत्रिका ही   आधार होता था  ,   दोनों के ग्रह  योग  से एक दूसरे का  निभाव  देखा जाता था ,  लेकिन अध्यक्षजी ,    आज  हम 26 , 28  साल के बच्चो का विवाह रचाते ताकि उनका  एजुकेशन  सेटल  जॉब घर बार परिवार की जिम्मेदारी  करीब करीब  जिंदगी की दिशा और दशा तय   हो चुकी होती  है ,आधी उम्र तो निकल चुकी होती  है ,ऐसे में  अब पत्रिका  जीवन में क्या   चमत्कारी परिवर्तन करेगा   कोनसी लाटरी खुलेगी या  गड़ा  मिलेगा ?, मृत्यु का दिन  किसी  पत्रिका में नहीं   लिखा होता ? हमे  ाआनेवाली पड़ी की ख़ुशी और समृध्दि  के लिए   अपनी सोच को बदलना होगा  ,घर  और परिवार में  क्रन्तिकारी परिवर्तन लाना होगा /
 अध्यक्षजी -------?
        मृत्यु  के बाद के  खटकर्म  मुखग्नि देने वाला   भाई बंधुओ  सहित  तेरह   दिन गंजा  हो सूतक की  कैद में  रहे , अब  संभव नहीं  आजकल का बच्चो का जीवन  मशीन  की तरह   हो गया  है , इसलिए तीन दिन में शोक  निवारण , सब अपने अपने   रास्ते ,  फिर जो   पैतृक  जहां  है  जैसा   उससे बने   वो करना चाहे करे  ,ये  जरुरी नहीं की मृत्यु के बाद लिटाकर  जहां तुमने पाटले बिछा दिए    वही  सारा उत्तर कार्य   हो , आत्मा तो परमात्मा में विलीन हो गई  , आत्मा सर्व व्यापी  है उसके निमित  कहि भी कुछ  करोगे  तो उसको  मिलेगा ,?
अध्यक्षजी  --- अपने बच्चो के खिरते  बालो को लेकर  रात दिन  चिंतित   रहने वाली माताए  अपने मरने  के बाद भी  अपने बच्चो को   गँजा   नहीं देखना चाहेगी , लेकिन लोक लाज रूडी परम्परा  आड़े आएगी , इसलिए  हम माता - बहनो  को  अपनी वसीयत बनानी  है  उसमे यही बात दोहरानी  हे की हमारे मरने के बाद कितनी और   कैसी रस्म तुम्हे निभानी ,  परिवार  में गंजी   किसी को नहीं करानी ?
 अगर मेरी बात  से सहमत   है  तो सदन  करतल ध्वनि  से   स्वीकार करे ?

Sunday 10 June 2018

'' ब्राह्मण महिला संसद '' में प्रस्ताव --; 1- स्वर्ण आयोग का गठन -


1- स्वर्ण महिला आयोग का गठन -
विभिन  जातिगत  समीकरणो के मद्दे नजर सरकार ने  उनकी  सुरक्षा  तरक्की और विकास के लिए पर्याप्त  सुविधाए  यहां तक की  विशेष कानून  और  विशेष अदालत   तक प्रदान कि है , लेकिन समाज की दिशा तय करने वाले ब्राह्मण समाज के साथ छेड़छाड़ होने  कोइ सहानुभूति नहीं जबकि  दलित ,आदिवासी महिला को छेड़छाड़   पर 50 हजार  तत्काल बालात्कार की रिपोर्ट  होने पर 1 लाख रु तत्काल सहायता , और सामान्य महिला स्वयं अपने साथ हुई  ज्यादतीय  के  सबूत   ढूंढती   रहे   ये  कहाँ  का न्याय  है ?  अध्यक्ष महोदय ,आज  बड़ी तादात  में   नौजवान  लड़किया  महिलाये प्रायवेट नौकरी रोजगार मे हे उन्हें अपने काम के दरम्यान  अपने सहकर्मी या अधिकारी  की  हरकतों या स्वभाव के कारण   अनेक प्रकार की मानसिक और  शारीरिक  त्रासदी  से गुजरना पड़ता , लेकिन अपनी बदनामी या जॉब छूट जाने का  भय   , या आगे फिर घर वाले जॉब नहीं करने देंगे , एक नियोक्ता से पंगालिया तो अन्य जॉब नहीं मिलेगा ,  ये सोच  चुप रह जाती लेकिन अब ऐसा  नहीं चलेगा ,  अध्यक्षजी  हमारा प्रस्ताव है , जिस तरह अल्पसंख्यक आयोग , आदिमजाति कल्याण  ,पिछड़ावर्ग आयोग  है ,  इसी   तरह स्वर्ण महिला आयोग का गठन किया जाए ,जिसमे महिलाओ की समस्या  हेतु   संबंधितो को  कॉन्सलिंग कर  हिदायत दे , तथा  यहां सहायता हेतु  शिकायत करने वाली महिलाओ  का जॉब प्रमोशन अन्य सुविधा   सुरक्षित रहे ?  अध्यक्षजी  हमारी मांग है  की  शाश्कीय सेवारत  महिलाओ की तरह प्रायवेट  कम्पनियो में जॉब  करने वाली महिलाकर्मियों  को 6 माह   मेटेनिटी  लीव ,मेडिकल सुविधा अन्य नियम  कायदे , श्रम कानून  की तरह लागू हो , जिसकी मानिटिरिंग  स्वर्ण महिला आयोग करे /
अध्यक्षजी  कुल मिलाकर  हमारे कहने का अभिप्राय  है , प्रायवेट कम्पनियो में काम करने वाली महिलाओ को होने वाली रोजमर्रे की मुसीबत कठिनाई शोषण ज्यादती के खिलाफ उन्हें पुलिस कोर्ट कचहरी के झमेले से   पहले ,  महिला स्वर्ण आयोग से सहायता और शाश्कीय महिलाकर्मियों की तरह सुविधा   मुहैया  करने में सक्षम स्वर्ण  महिला आयोग का तत्काल गठन हो //  जय  हिन्द जय भारत



अलका और प्रदीप के प्रेम और आदर्श के 2 8 साल !
मित्रो ! औदुंबर ब्राह्मण समाज के पूर्व अध्यक्ष संत ह्रदय साथी प्रदीप जोशी एवं प्रगतिशील विचरो वाली आदर्श ग्रहणी श्रीमती अलका जोशी के साथ आज से 2 7 वर्षो पहले औदुंबर समाज की धर्मशाला में आयोजित परिचय सम्मेलन में जो क्रन्तिकारी सुखद हादसा हुआ उसकी मिसाल नही दोनों वर वधू को भी पांच मिनिट पहले तक अहसास नही की चंद घडियो में स्टेज पर वरमाला पहनाकर उनका आदर्श विवाह होने वाला है ! मौजूदा जन सैलाब के उत्साह और उमंग को शिरोधार्य कर वर माला पहनाकर आदर्श विवाह कर समाज को नई दिशा देने का काम भाषण से नही आचरण से दिया है / इस आदर्श विवाह हेतु इन दोनों की जितनी प्रसंशा की जाये कम है ! ये न अरेंज मैरिज है न लव मैरिज लेकिन दोनों की केमेस्ट्री आपसी तालमेल सामंजस्य और ऐसा स्नेह बहुत कम देखने को मिलता है की दोनों के लिये समाज सेवा पूजा है / मेरी राजेश शुक्ला और मनोज जोशी की इस विवाह में महती भूमिका रही जिसकी हमे आज भी प्रसन्नता है ! लेकिन मुझे अफसोस है की सारे समाज और उसके तथाकथित कर्णधारो की मौजूदगी में ये प्रसंशनीय कार्य हुआ जो समाज की युवा पीढ़ी को प्रेरणा और समाज को नई दिशा प्रदान करता है ! परन्तु इनकी सराहना और सम्मान की आज तक समाज ने पहल नही की इस आयोजन में बतौर अतिथि स्व सदाशिव दुबे और वरिष्ठ पत्रकार सतीश जोशी भी उपस्थित थे !
इस ब्लाक का उदेश्य आलोचना नही नई पीढ़ी को अवगत करना और पेरणा देने का है !

Thursday 7 June 2018

Press Note

राष्ट्रीय  ब्राह्मण युवजन सभा की इंदौर  शहर अध्यक्ष ------- तथा---------ने बताया   सरकार के स्वर्ण  ब्राह्मण   विरोधी रवइये,और लगातार स्वर्ण  महिलाओ की उपेक्षा  के  कारण  विवश हो  ,   राष्ट्रीय ब्राह्मण युवजन सभा  ने  ''' स्वर्ण ब्राह्मण महिला संसद ''  इंदौर में आयोजित करने का निर्णय लिया है ,   इसके पीछे  कोइ  राजनीती स्वार्थ  नहीं है  ,  बल्कि   ब्राह्मण  महिलाओ में जागृति और चेतना  जगाने हेतु यह समय की मांग है , हमारा आव्हान  है की देश के जातिवादी राजनैतिक दलदल में स्वर्ण  ब्राह्मण  समाज अपनी भूमिका प्रदेश में सरकार बनाने और बिगाड़ने में दिखाये  और इस हेतु महिलाये  आगे आकर मोर्चा संभाले   अन्यथा  स्वर्ण , ब्राह्मण हर स्तर पर नजरंदाज किये जाने लगे है ? चाहे फिर कोई ब्राह्मण कहीं पर भी हो उसे एक बार अपनी संगठित शक्ति का अहसास करना पड़ेगा , वरना ब्राह्मण अपना सामान खो देंगे ! वंदन चंदन करके थोड़े दिन आगे पीछे दौड़ भी लिये तो ज्यादा देर टिक कहाँ पाओगे  हमारी  जनरेशन अगड़े ,पिछड़े दलित मुस्लिम के बिच पीस  कर  रह जायेगी /    सरकार की गरीब दलित पिछड़े के लिए बनी हर योजना का खामियाजा कब तक स्वर्ण , ब्राह्मण मध्यम वर्गीय भुगतेंगे ? और  जिसके  कारण सबसे ज्यादा कठिनाई  और  तनाव  हम महिलाओ को  सहन करना पड़ता ,   अमीर को फर्क नहीं पड़ता , गरीब योजना के लाभ से मस्त ,अधिकारी योजनाओ के क्रियान्वयन में मदमस्त ,मध्यमवर्गीय से जबरन वसूली 18 प्रकार के टेक्स उसके बाद पेट्रोल ,डीजल, गैस , बिजली ,पानी , मंहगाई,  सामर्थ्य से ज्यादा  मंहगी   बच्चो की   पढ़ाई ,  ?
इसलिये अलग अलग बिखर कर ख़त्म होने से एक बार संगठित हो संकल्प ले, की  जो मध्यमवर्गीय की बात करेगा , '' सम्मान से  स्वर्ण ब्राह्मण को साथ लेगा ब्राह्मण उसी के साथ चलेगा '' ! वरना हम   ब्राह्मणो को  धार्मिकता के  कारण संदेह की द्द्ष्टि से भी  देखा जाता है , इस बात का भी हमे प्रमाण देना होगा की हम किसी धार्मिक  राजनैतिक  पार्टी के पिच्छेलगु नही है हमारा भी वजूद है, इस हेतु  प्रदेश के विभिन्न  प्रांतो से  वहां के स्थानीय उपवर्गीय जातिगत संगठनो से इन सब बातो पर एक मत हो आगे की रूपरेखा तय करने हेतु  , स्वर्ण ब्राह्मण   महिला संसद का आयोजन किया जा रहा है  जिसमे  स्वर्ण समाज की   कई  ख्यातनाम   राजनैतिक  महिला शख्सियत  भाग लेनी वाली हे /

Saturday 2 June 2018

।। शिवराज दिन भर चले, ढाई कोस पहुंचे ।।

कड़वा सच ? ।। शिवराज दिन भर चले, ढाई कोस पहुंचे।।
अवैध कालोनी वैध - का सीधा सरल, खेल ?
सरकार की गाइड लाइन में अवैध कालोनी को वैध करने में जो नियम और शर्ते है, यदि वो पूरी हो सकती होती तो कालोनी अवैध क्यों होती , अधिकतर अवैध कालोनी सिलिगं में वेष्ठित नजूल भूमि पर है , आवासीय क्षेत्र में ग्रीनबेल्ट की जमीन पर , विकास प्राधिकरण की मृतप्राय योजनाओ की भूमि पर , पट्टे दान शाश्कीय भूमियो पर अवैध कालोनिया विकसित है और अधिकतर अवैध कालोनी बड़े शहरो में है , और इंदौर शहर की तो सारी अवैध कालोनियों में कंक्रीट रोड बिजली नर्मदा नल या सार्वजनिक बोरिंग गर्मी में टेंकर सब सुविधा है , पांच , दस हजार में दस पंद्रह साल पहले किश्तों में खरीदी सम्पति लाखो की हो गई , अब विभाग क्या एन, ओ,सी देगा ?
बेहतर होगा जो जहां बसे  गाइड  लाइन   के हिसाब से  टेक्स वसूलो , सम्पति कर वसूली तो जारी है, ही , सफाई कर लो , और एक वैधता का प्रमाण पत्र भवन स्वामी को दो , और कहो आगे खरीदी ब्रिक्री रजिस्ट्री से करो , अपना सरकारी खजाना भरो , सरकारी कर्मचारी और अधिकारियो और इनमे निवासित गरीब जनता को फिजूल परेशान मत करो ?