Saturday 28 May 2016

स्वर्ण हिन्दू को शक्ति हींन बना रहे !

कड़वा सच ! मध्य्प्रदेश  सरकार  ब्राह्मणो के सम्मान और स्वाभिमान को नष्ट कर दलित तुष्टिकरण हेतु गैर  ब्राह्मणो को पुजारी नियुक्त करने व् उन्हें कर्मकांड का प्रशिक्षण  देने  पर आमादा है  / शिवराज जानते है प्रदेश का ब्राह्मण बीजेपी और मोदी का अंध भक्त है क्या करेगा ! इससे बीजेपी को क्या फर्क पड़ेगा ! पहले स्वर्ण हिन्दूओ को मुसलमानो से लड़वाया भिडवाया जमके पिटवाया ताकि डरा सहमा स्वर्ण हिन्दू अपनी जान माल की सुरक्षा हेतु इनका पिच्छेलगू बना रहे ! अब दलितों से वैमनस्य कराकर स्वर्ण हिन्दू को शक्ति हींन बना रहे !क्योकि इन्हे अति आत्म विशवास है की देश में इनका कोई विकल्प नहीं है लेकिन भाजपा और शिवराज ये न समझे ब्राह्मणो के खिलाफ मध्यप्रदेश सरकार की  दमनकारी नीति का देश के अन्य  ब्राह्मणो  को  जो पुरोहित कर्म नहीं करते  उन्हें  कोई  फर्क नहीं  पड़ेगा लेकिन अब वो समय गया ब्राह्मणो में चेतना और जागृति आई है मध्यप्रदेश का बयालिस  लाख  ब्राह्मण परिवार बीजेपी के ब्राह्मणो के प्रति नकारात्मक रवैये को देख और समझ ही नहीं रहा जवाब देने की तैय्यारी में है !
धीरज दुबे एड !
प्रवक्ता राष्ट्रीय ब्राह्मण युवजन सभा 

Friday 6 May 2016

रामघाट पर अमृत मंथन !

 कड़वा सच ! रामघाट पर अमृत मंथन
सिंहस्थ मै साधू संतो के लिए ही अमृत स्नान का विधान था और इसके भी केवल वे ही साधू संत नागा अधोरी ब्रह्मचारी कर्मकांडी तांत्रिक वैदिक पूजा पाठी अधिकारी होते है ! ये कोइ पाप नशनि गंगा थोड़े हैजो  डुबकी  लगा पाप धूल जाये ! सिंहस्थ स्नान अमृत स्नान उसके पात्र लोगो के काम का है ! जमाने भर के व्यभिचारी माँसाहारी ढोंगी जिन्हे न पवित्रता ज्ञान न स्वछता का ध्यान स्त्री पुरुष किन्नर स्नान करें तो उन्हें कोई अमृत स्नान का पूण्य थोड़े मिलता  क्योकि  ये  इसके  पात्र नहीं ! लेकिन ये सब असहनीय होने से  रुष्ट देवताओ ने रामघाट को भ्रष्ट कर निषेध कर दिया ड्रेनेज का पानी मिल जाने के बाद अब ये स्थान हमेशा अमृत स्नान के लिए निषेध है ! शास्त्रों मे पड़ा है रक्त की एक बून्द टपका कर हजारो वर्षो से किये जा रहे यज्ञ अनुष्ठान भ्रष्ट हो जाते ! तभी राम ने  असुरो  का संहार किया था   ! तो ये तो सारी शिप्रा भ्रष्ट   हो गयी ! अब इसमें धार्मिक मान्यताओं के अनुरुप तो स्नान वर्जित है ! इसलिये उज्जैन का सिंहस्थ समाप्त हो जाना चाहिए !  क्योकि ऐसे भी  यहाँ  अब कटाचुर साधू है कहाः जो वर्षो हिमालय की कंदराओं में रहते तपस्या करते अब तो वेशिक युग की दुकाने है संतो का कारोबार वैभव अहंकार पहले के संत अपनी आध्यात्मिक शक्ति अपनी तपस्या के तेज से दर्शन करने मात्र से कल्याण हो जाता था ! क्योकि कल्याण के लिए आम आदमी तो तपस्या नहीं कर सकता तो उसका कल्याण कैसे हो तो सिंहस्थ का विधान बनाया  संत महात्मा लोक कल्याण की भावना से सिंहस्थ में आते थे !  अब सरकार पर अहसान करने  आते है !  और आम जनता को दर्शन क्या दे मुख्य मंत्री  से रोज   रोज के जलसे करोड़पति भक्तो और उनके  व् स्वयं के लिए बने एअर कंडीशन आलिशान रिसोर्ट और उनका प्रोटोकॉल आम आदमी  तो  दर्शन पा ही  नहीं  सकता ! और वे जानते है की आम आदमी उनका वैभव देख नत मस्तक हो जाएगा जिसका प्रदर्शन किया जा रहा है ! लेकिन ये महांकाल को पसंद नहीं आ रहा है अल्टीमेटम दे दिया सुधर जाओ वरना हाँ फिर ..........! जय महाकाल !

साडे पांच हजार करोड़ रु धर्म विशेष के आडम्बर में उड़ाना क्या अन्य धर्मवालंबियो के प्रति असहिष्णुता है !

कड़वा सच !                                                                                                                                                  उज्जैन  सिंहस्थ  में  साडे   पांच  हजार करोड़ रु धर्म विशेष के आडम्बर में उड़ाना क्या धर्म निर्पेश देश के अन्य धर्मावलंबियो के साथ अन्याय नही है ! इसे कहते है अन्य धर्मवालंबियो के प्रति असहिष्णुता सरकारी तंत्र  भ्रषटाचार     और मुख्य्मंत्री  शिवराज  और  प्रधान मंत्री  मोदी अपनी लोकप्रिया का सिंहस्थ मना चुके  ! साधू संत अपने वैभव का जलवा दिखा चुके ! देश के गरीब लोग धार्मिक आडंबरों के नाम पर ठगे जा   चुके ! देश के गरीब लोग रोते पीटते चीखते चिल्ला रहे  कोई  तो बताये अच्छे दिन कब और किसके  कहाँ  आ चुके ! 

Sunday 1 May 2016

! ! कड़वा सच !! भाजपा और मायावती के बीच फिर रोमांस की तैय्यारी !

! ! कड़वा सच  !!   भाजपा   और  मायावती  के बीच  फिर  रोमांस  की  तैय्यारी !                                                                                                                                                                                                 विचारणीय प्रश्न हैं कि मायावती  उत्तर प्रदेश में भाजपा से मिलकर सरकार बना चुकी हैं, तब भी मुसलमान बसपा से जुड़े रहे और आज भी जुड़े दिखाई देते हैं। तुलनात्मक रूप से देखें तो बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती भी राज्य में मुस्लिम तुष्टिकरण, जातीय राजनीति से अलग हटकर कभी नहीं चली हैं, वह भी दलित-मुस्लिम गठजोड़ को सत्ता का एक मजबूत कारक मानती हैं, लेकिन मुलायम सिंह यादव की तरह से मायावती मुस्लिम राजनीति के दबाव में कभी नहीं देखी गईं। उन्होंने मुसलमानों का कोई भी दबाव कतई मंजूर नहीं किया, उनके राजनीतिक फैसलों पर नज़र डालें तो उत्तर प्रदेश में कोई भी मुसलमान नेता ऐसा नहीं है, जिसने मायावती के सामने अकड़कर चलने की हिम्मत दिखाई हो। हालांकि इसका कारण दलित वोट बैंक है, जिसक‌े दम पर मायावती ने जिसको चाहा राजनीति में ऊपर उठाया है और जिसे चाहा जमीन पर पटक दिया है, जबकि जामा मस्जिद दिल्ली के इमाम अहमद बुखारी जब चाहा सर-ए-आम सपा नेतृत्व को मुसलमानों की धौंस देकर हड़काते-दौड़ाते हैं, सपा सरकार से पूरा लाभ भी उठाते हैं, इसी तरह जब चाहा सपा सरकार के मंत्री आज़म खां गुर्राते-धमकाते हैं और मुलायम खानदान इनके सामने घुटने टेकता गिड़गिड़ाता और इन्हें मनमर्जी के 'पैकेज' देता नज़र आता है। मायावती सरकार में एकाध छिटपुट तनाव को छोड़कर कोई सांप्रदायिक दंगा भी नहीं हुआ, तब क्या कारण है कि सपा की सरकार आते ही राज्य में सांप्रदायिक दंगों, अपराधों और जातिवाद की बाढ़ सी आ जाती है? क्या कारण हैं कि सपा सरकार आने पर गुंडे, माफिया और सांप्रदायिक तत्व उत्पात मचाने और मनमर्जी करने लगते हैं? इनमें सपा के कुछ मुस्लिम नेताओं की हेकड़ी और संलिप्तता भी किसी से छिपी नहीं है। अखिलेश सरकार इनकी चुनौतियों का सामना करने के बजाय बचाव के रास्ते पर चलती आ रही है। मोदी और शाह  चाहते हे की  केंद्रीय राजनीती के लिये  उत्तर प्रदेश  में भाजपाई  मुख्य्मंत्री से जरूरी  मुलायमसिंह को सत्ता से खदेड़ना  है  और इसके लिए एकबार फिर  मायावती से रोमांस  की   तैय्यारी  है !