Saturday 20 June 2015

शिवराजसिंहजी को मिली सौगात है !

   श्रीमती सुमित्रा महाजन का लोक सभा अध्यक्षा बनना और फिर कैलाशजी का महामंत्री बन
राष्ट्रिय राजनीती में चले जाना शिवराज सिंहजी को रजनीति में मिली दो बड़ी सौगात है मध्यप्रदेश में निष्कंठक अब इनका राज है ! बिना  खुजाये  मिट  गयी  इनकी  खाज हे  पर  सम्हलकर  रहना कैलाश  विजयवर्गीय   बहुत   घाग   है  !  शिवराज    कहिन  अब  की   बार   आकाश  को   टिकिट   दे  देंगे   इस  में
नाराजी  की  क्या  बात   है  !

Monday 15 June 2015

जब सुचना प्रसारण एवं गृहराज्य मंत्री बीड़ी का बंडल खरीदने निकले !

 मध्यप्रदेश साशन के  ग्रहराजयमंत्री  पूर्व  विधासभा  उपाध्यक्ष  स्वर्गीय  नारायण प्रसाद  शुक्ल  देर   रात  अपने  जुनि इंदौर   स्थित  निवास  पर   चहल  कदमी  कर रहे थे की  पड़ोस  में  रहने वाले मनोहर दादा  ने
ओटले  पर  सो  रहे  परिवार के युवजनो को आवाज लगाई  ! मौजूदा  लोगो को  गहरी नीद में पाकर नारायण  भाई  { भैय्या  } मनोहर दादा से  खिड़की  से  दो रपये  केच कर रात  डेढ़ बजे निकल पड़े   बीड़ी का  बंडल  खरीदने क्योकि  दादा की बीड़ी ख़त्म हो गई  थी ! सरवटे  बस स्टेण्ड पर पान की दुकान पर  जाकर  बीड़ी का बंडल  माँगा दुकानदार सहित  मौजूदा लोग हतप्रद रह गये  ! डियूटी  पर तैनात पुलिस ने कंट्रोल  रूम  सूचना करदी सारा  प्रसाशनिक अमला हरकत में आगया ! जब भैय्या से परिजनों ने  कहा  आप इतनी रात पैदल पैदल
बस स्टेण्ड तक खुद क्यों गये! तो  भैय्या बोले दादा की बीड़ी ख़त्म हो गई थी उन्हें रात भर तकलीफ होती उनकी तकलीफ के आगे मेरी पोजीशन मायने नही रखती ! ऐसे  संत ह्रदय सरल सहज बड़ो के प्रति सेवा और समर्पण
भाव रखने वाले भैय्या एक वर्ष पूर्व आज ही के दिन हमे छोड़कर चले गये लेकिन उनके कार्य व्यवहार और आचरण हमे सदैव  प्रेरणा प्रदान करते रहेंगे ! भैय्या को शत शत नमन  !

Friday 12 June 2015

खुद ख़ुशी खुद की ख़ुशी है जीने की जबरजस्ती क्यों !

हर  व्यक्ति  अपने जीवनकाल  में शैशव से योवन तक और योवन से वृध्दा अवस्था तक किसी ने किसी चिंता से ग्रसित रहता है !और इसकी अति तो तब  हो  जाती  है   जब आदमी अपने जीवन के उत्तराध में सबसे ज्यादा चिंतातुर अपनी मौत के लिए होता है ! भगवांन  चलते फिरते  उठाई  लीजे ये चिंता चौबीसो घंटे अशक्त बुजुर्गो को रहती है !

           व्यक्ति अपने जीवन काल में अपनी मेहनत कूबत सामर्थ और मन मर्जी से हर काम करता है जीवन को सजाता संवारता बसाता है ये सब मैने किया है और ऐसा ऐसा में करुगा !लेकिन मरने कीबात आये तो में कुछ नही कर सकता भगवान की इच्छा  क्यों ! सब तेरी इच्छा से लड़का पैदा हो या लड़की और पैदा होने के बाद लड़का बनकर रहना या लड़की सब तकनीक ईजाद करली साइंस और टेक्नोलॉजी ने असीमित  तरक्की  करली पर मौत का आसान तरीका  ईजाद  नही किया और न ही ईच्छा मृत्यु को कानूनी मान्यता मिली !अगर कोई जीना नही चाहे तो जबरजस्ती क्यों  !अरे इतिहास पुराण में जिनका सारी पृथ्वी पर साशन था एक उम् के बाद सबकुछ अपने वारिसों को सोप चलें गये पीछे वालो के लिये जगह खली कर दी कितनी बढ़िया सोच थी उन लोगो की और एक हम है सबकुछ निवृत होने के बाद भी बेकार मोह में बेशर्मो की तरह पड़े है !हाँ तगड़ी पेंशन पाने वालो की तो परिवार में इज्जत और जरूरत है ! लेकिन बाकी अशक्त  बीमार बुजुर्ग परिवार समाज देश और स्वयं पर बोझ बन तिल तिलकर मरने को मजबूर है !

  मेरा  जनप्रतिनिधियो से अनुरोध है यदि सत्तर साल की आजादी के बाद भी देश के लोगो को जीने के लिये बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति न कर सके तो मौत के रास्ते तो रोड़े मत अटकाओ ! इच्छा मृत्यु का कानून पास कर लोगो को चेन से मरने दो !





Thursday 11 June 2015

राजनैतिक   सामाजिक  और  सार्वजनिक   क्षेत्र   के  जमीनी  योद्धा   धार  प्रेस   क्लब   अध्यक्ष  अनिल तिवारी  को  राष्ट्रिय   ब्राह्मण     युवजन   सभा   के  मध्यप्रदेश    अध्यक्ष  मनोनीत  होने पर   हार्दिक   बधाई  ! आशा  है  आपके   प्रभावी   नेतृत्व   में   प्रदेशभर   में  कार्यरत  विभिन्न  ब्राह्मण  संगठनो तथा स्थानीय  स्तर  पर सक्रीय  सर्व ब्राह्मण समाज के संगठनो को प्रादेशिक  स्तर पर संगठित  कर सशक्त  ब्रम्ह  शक्ति  का निर्माण  करने  का  प्रयास  करेंगे  !  जय  परशुराम   !   

अलका और प्रदीप के प्रेम और आदर्श के पच्चीस साल !

 मित्रो  !  औदुंबर  ब्राह्मण  समाज के  पूर्व  अध्यक्ष  संत   ह्रदय साथी  प्रदीप  जोशी एवं प्रगतिशील  विचरो  वाली  आदर्श  ग्रहणी श्रीमती  अलका  जोशी   के  साथ  आज  से  पच्चीस  वर्षो  पहले औदुंबर समाज  की  धर्मशाला  में आयोजित  परिचय  सम्मेलन  में  जो  क्रन्तिकारी  सुखद  हादसा हुआ उसकी  मिसाल  नही दोनों  वर   वधू  को भी  पांच  मिनिट  पहले तक  अहसास  नही  की  चंद  घडियो  में  स्टेज पर  वरमाला  पहनाकर  उनका  आदर्श  विवाह  होने वाला हे ! मौजूदा  जन  सैलाब  के  उत्साह  और  उमंग को  शिरोधार्य  कर वर माला  पहनाकर  आदर्श विवाह  कर  समाज को  नई  दिशा  देने का  काम  भाषण से  नही  आचरण से दिया  हे  इन  दोनों  ने   इसकी  जितनी  प्रसंशा  की जाये  कम  है  !  मेरी  राजेश  शुक्ला  और  मनोज  जोशी  की  इस विवाह  में  महती  भूमिका  रही  जिसकी  हमे  आज भी  प्रसन्नता  है !लेकिन  मुझे  अफसोस  है  की सारे  समाज और
उसके तथाकथित  कर्णधारो  की  मौजूदगी में  ये  प्रसंशनीय   कार्य  हुआ ! परन्तु  इनकी  सराहना और सम्मान
की  आज  तक  समाज ने  पहल  नही की   इस  आयोजन  में   बतौर  अतिथि  स्व  सदाशिव  दुबे  और  वरिष्ठ
पत्रकार  सतीश  जोशी  भी  उपस्थित  थे !
इस  ब्लाक  का  उदेश्य  आलोचना  नही  नई  पीढ़ी को  अवगत  करना  और  पेरणा  देने का है  !


Tuesday 9 June 2015

जातिगत संगठनो में राजनैतिक खोट !

विभिन्न वर्गो में बटे ब्राह्मण समाज को संगठित करने की कवायद पुरानी है जिसका पूरा होना समय की मांग है लेकिन इसके लिये कभी सही दिशा में प्रयास नही किये गये !इसलिए लोगो में ये धारणा बन गई की ये सब राजनीती से प्रेरित है और सच पूछा जाय तो ये सही भी है राजनैतिक लोगो ने   अपना उद्देश ब्राह्मण संगठन के  नाम पर भीड़ जुटाना ही रखा संगठन खड़ा करना नही ! और जो संगठन कुकुरमुत्ते की तरह रोज बनते हे किसी कायर्क्रम  विशेष  के लिये वो सर्व ब्राह्मण समाज की छतरी ताने विवाह परिचय सम्मेलन करेंगे या सम्मान कर उपाधियाँ बांटेगे !लेकिन आवश्यकता है जमीनी स्तर तक अनुसाशित निष्ठावान समर्पित संगठन की जिसके नेतृत्व में सभी राजनैतिक दलों की शक्तिया सम्माहित हो लेकिन वो किसी राजनैतिक दल पर आधारित न हो ! संगठ रजिस्टर्ड  हो देश के अन्य प्रांतो में भी जिसकी अपनी पहचान हो उसके पास समय अनुकूल उदेश्य और कायर्कम हो जिसके आधार पर वो लोगो को अपने से जोड़ सके ! और इन सब चीजो से प्रेरित संगठन  ब्राह्मण युवजन सभा ने हमारे औदुंबर ब्राह्मण महासंघ के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार परम आदरणीय भाई सतीश जोशी   और  धीरज दुबे को महतवपूर्ण जिम्मेदारी सोपी  है जिसे निभाने हेतु  आप सभी का पूरा सहयोग  अपेक्षित  है !

         

Friday 5 June 2015

अफसरशाही के आगे सरकार की लाचारी !

कड़वा सच !
कहा गया हे स्वराज्य हमारा जन्म सिध्द अधिकार हे लेकिन क्या ६६ वर्षो बाद भी हमे हमारा राज्य मिला ? हमतो आज भी अंग्रेजो के बनाये प्रशासनिक ढांचे के गुलाम हे और ब्योरोकेसी पूरी तरह हावी हे, कोईभी सरकार इनसे तालमेल बनाये बग़ैर चल नही सकती ये भष्टाचार करेंगे जनप्रतिनिधि अपना हिस्सा ले और चुपचाप तमाशा देखे ! इसके आलावा उनके पास चारा भी क्या हे, एक विधायक अफसर तो दूर एक चपरासी, एक बाबू , एक सिपाही के सामने लाचार हे ! ये हमारा गणराज्य हे मोदीजी गुडगवर्नेंस की दुहाई देते हे क्या कुछ कर पाएगे ! शिवराज तो पूर्ण बहुमत की सरकार होने के बावजूद चाहकर भी पुलिस कमिशनरी प्रदेश मे लागु नहीं कर पाये ब्योरोकेसी के आगे लाचार होकर हथियार डाल दिए ! अब  मुख्यमंत्री को  जनप्रतिनिधि  जनता  और पार्टी  संगठन  की कोई  चिंता नही  है अधिकारियो को  साधे रखना  जरूरी  है  क्योकि  वो ही  तो  कमाऊ  पूत  है  इसीलिये  कोई  भी  सरकार आये  साशक  तो यही होते है !
 




Thursday 4 June 2015

मध्यमवर्गीयो को सूली पर चढ़ाने पर आमदा शिवराज !

मध्यप्रदेश  के  प्रसाशनिक   अनुभहीन   मुख्यमंत्री  को  अफसरशाही  ने  इस्तेमाल  कर रखा  है  ! पहले तो  व्यापम  और  पी  एम  टी  नकली   माकर्शीट  कांड  करके  प्रदेश की  शिक्षा  जगत में  इज्जत  दो कोडी की करदी ! और  अब   र्भष्टाचार  के लिए  नियमो का  हवाला दे  शिक्षा  को  इतनी  मंहगी  करदी  की  वो  मध्यम 
परिवार  जो  अपने  बच्चो को   सिर्फ  शिक्षित  कर  स्वालंबी  बनाता  था  मंहगी  शिक्षा  से  महरूम  हो गया !
शिक्षा  के लिए  शर्त  नही  होती  शांतिनिकेतन  में  एक  पेड़  के निचे  तो  एकलव्य ने  पेड़ पर  चढ़कर   ज्ञान  प्राप्त  कर लिया था  ! लेकिन  आज तो  यदि  कालेज  खोलना हो  १०  एकड़ जमीन  बिल्डिंग   प्लेग्राउंड  हायस्कूल  के लिए  नियम  कायदे  यहांतक  की  मिडिल   प्रायमरी   के  नियम और  शर्ते  देखे  तो  करोड़ो  का 
इन्वेस्मेंट   है  तो  लाखो  रु  फीस हो गई  !जिन  लोगो ने  करोड़ो रपये  लगाकर  कालेज  खोले  उनकी सीट  नही  भर रही  लाखो  के  घाटे  में  है  और  कम  इन्वेस्टमेंट  वाले  और  बाहर  की  यूनिवर्सिटी  से  संबद्धता  वाले  धड़ाके से  छोटे हाल में  कमरो में   धर्मशालाओं  में  स्कुल  कालेज  चलाकर  आम आदमी को  उसके 
बजट  में  शिक्षा  दे रहे  ! इसलिये  प्रसाशनिक  सांठ  से   पैसा  देकर  इन्हे  बंद   कराने  या  परेशान  कर  पैसा 
वसूलने का  षड्यंत्र  किया जा  रहा  है  ! लेकिन   मत भूलो  शिक्षा  का  प्रतिशत  इन  छोटी मोटी   शिक्षा   की 
दुकानो  से  ही  बड़ा   है  इसमे   सरकार  और   उसकी  भ्रष्ट  मश्नरी का  कोई  खास  योगदान  नही  है  !शिवराजजी  धरातल पर  आकर  व्यवहारिकता   से  सोचे ! हर  विषय  अफसरों  के  चश्मे से न  देखे   !