Thursday 4 June 2015

मध्यमवर्गीयो को सूली पर चढ़ाने पर आमदा शिवराज !

मध्यप्रदेश  के  प्रसाशनिक   अनुभहीन   मुख्यमंत्री  को  अफसरशाही  ने  इस्तेमाल  कर रखा  है  ! पहले तो  व्यापम  और  पी  एम  टी  नकली   माकर्शीट  कांड  करके  प्रदेश की  शिक्षा  जगत में  इज्जत  दो कोडी की करदी ! और  अब   र्भष्टाचार  के लिए  नियमो का  हवाला दे  शिक्षा  को  इतनी  मंहगी  करदी  की  वो  मध्यम 
परिवार  जो  अपने  बच्चो को   सिर्फ  शिक्षित  कर  स्वालंबी  बनाता  था  मंहगी  शिक्षा  से  महरूम  हो गया !
शिक्षा  के लिए  शर्त  नही  होती  शांतिनिकेतन  में  एक  पेड़  के निचे  तो  एकलव्य ने  पेड़ पर  चढ़कर   ज्ञान  प्राप्त  कर लिया था  ! लेकिन  आज तो  यदि  कालेज  खोलना हो  १०  एकड़ जमीन  बिल्डिंग   प्लेग्राउंड  हायस्कूल  के लिए  नियम  कायदे  यहांतक  की  मिडिल   प्रायमरी   के  नियम और  शर्ते  देखे  तो  करोड़ो  का 
इन्वेस्मेंट   है  तो  लाखो  रु  फीस हो गई  !जिन  लोगो ने  करोड़ो रपये  लगाकर  कालेज  खोले  उनकी सीट  नही  भर रही  लाखो  के  घाटे  में  है  और  कम  इन्वेस्टमेंट  वाले  और  बाहर  की  यूनिवर्सिटी  से  संबद्धता  वाले  धड़ाके से  छोटे हाल में  कमरो में   धर्मशालाओं  में  स्कुल  कालेज  चलाकर  आम आदमी को  उसके 
बजट  में  शिक्षा  दे रहे  ! इसलिये  प्रसाशनिक  सांठ  से   पैसा  देकर  इन्हे  बंद   कराने  या  परेशान  कर  पैसा 
वसूलने का  षड्यंत्र  किया जा  रहा  है  ! लेकिन   मत भूलो  शिक्षा  का  प्रतिशत  इन  छोटी मोटी   शिक्षा   की 
दुकानो  से  ही  बड़ा   है  इसमे   सरकार  और   उसकी  भ्रष्ट  मश्नरी का  कोई  खास  योगदान  नही  है  !शिवराजजी  धरातल पर  आकर  व्यवहारिकता   से  सोचे ! हर  विषय  अफसरों  के  चश्मे से न  देखे   !


 

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