Friday 29 May 2015

आरक्षण समय की मजबूरी थी !



   

आरक्षण   एक अस्थाई   व्यवस्था  थी  समय की मजबूरी थी क्योकि  मुस्लिमो की तरह  दलितों के लिए
भी अलग राष्ट्र  की मांग उठ रही थी ! और  मुस्लिमो  से  सामना  करने को   दलितों का साथ  तब  भीं
जरूरी था  आज भी  जरूरी है  ! यदि  आरक्षण  का प्रलोभन  न देते  तो  ये धर्म  परिवर्तन  कर लेते  ऐसे  में हिन्दुओ का  अस्तित्व  संकट में  पड़  सकता  था  पड़  सकता है  ! अत:  आरक्षण  हमारी  नियति  बन  
चुका है  इसे  सहर्ष  स्वीकारना  हमारी  मजबूरी है  ! वरना  साम्प्रदायिक   तनाव   के  वातावरण   से  जूझ
रहे   देश   को   वर्ग   संघर्ष  की  आग  में  धकेलना  समय   और   परिस्थिती  के  अनुसार   उचित नही  !
अत:  आरक्षण  समाप्त   करने   की   बजाय   आरक्षण   आर्थिक   आधार पर   निधारित   करने की  मांग
उठाना   श्रेयस्कर  होगा !
कड़वा   सच   ! 

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