Sunday 17 May 2015

औछे की संगत अटारी से मरना !

 विदेशी  तिकड़म  बाजी में  धुँवाधार  बल्लेबाजी  करने  वाले  नरेंद्र मोदी  को  याद रखना चाहिये  की  मारने के
चक्क्रर  में  अक्सर   कैच हो जाता हे  ! चायना  की  चासनी  कड़वी  निकलेगी  यह  पुराना  अनुभव कहता हे !
जवाहलाल  नेहरू  का चायना  में  इस्तकबाल  और  हिन्दू   चीनी   भाई भाई   के नारे  लगा चुके हे  !लेकिन  अपनी  अधिनायकवादी  नीति   विस्तार की  लालसा   के  कारण  अप्ररिपक्  भारत को  युध्द  की  विभीषिका  को  झेलना पड़ा ! मोदीजी  आप अभी आये हो  आपसे देश को बहुत उम्मीदे हे  अपना काम करो  जब इनके  बराबरी  में  आजायेंगे इनसे रिश्ता बनाएगे  ! पूरी  दुनिया  मोदीजी व्यापार  करने  तैयार  खड़ी  हे   अपने को इस  दुकान पर अभी जाना नही  जब   खुल्ले  पैसे  होगे  तब जायेगे  इसको  अपना  हजार का नोट  बताना नही  अपने  यहां   मालवी में   नसीहत हे    ओछे की    संगत   याने  स्वार्थी  धोखेबाज  से  दोस्ती करने के बजाय
अटारी से मरना  याने कटार   से खुदख़ुशी   करना बेहतर   हे  !  आगे    भगवान   आशुतोष  जैसी पेरणा दे   !
                                   

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