Monday 19 December 2016

राष्ट्रीय ब्राह्मण युवजन सभा की माँग है पुजारी पद ब्राह्मणों के लिए आरशित किया जाए ?

सिंहस्थ मेले के दौरान ही सी एम शिवराज सिंह चौहान ने संकेत दिए थे। सरकारी या दान की जमीनों पर बने मंदिरों को सरकारी घोषित कर दिया जाएगा ? और इन ​मंदिरों में सेवा कर रहे पुजारियों की जगह नई नियुक्तियां होेंगी। नियुक्ति के अधिकार नगरीय निकाय या ग्राम पंचायत को मिलेंगे। कुल मिलाकर मंदिरों में अब राजनीति होगी।और सरकार समाज में ब्राह्मणों का मान सम्मान और स्वाभिमान को नष्ट कर मनुवादियो का सत्यानाश कर दलित अर्जेन्टा और तुष्टिकरण हेतु काम कर ही है / इसके लिए कानून का प्रारूप तैयार किया गया है,? जो विधानसभा के बजट सत्र में पटल पर रखा जाएगा। जैसा कि होता आया है। विधानसभा में हंगामे के बीच यह कानून पारित भी हो जाएगा ? शिवराज मोदी की लोकप्रियता का लाभ ले ? ब्राह्मणों को लात दे l लोकप्रिय नेता बनने चले है ? भोपाल के पत्रकार मनोज तिवारी की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में ऐसे 25 हजार से ज्यादा मंदिर होने का अनुमान है। इनमें से 21 हजार की सूची तैयार कर ली गई है। इसका प्रारूप वरिष्ठ सदस्य सचिव समिति को भेजा जा रहा है। संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि इस प्रारूप पर अभी काम चल रहा है।
पुजारी, व्यवस्थाओं में सुधार ?
फिलहाल प्रबंधन व व्यवस्था में बदलाव नहीं होगा। संचालन के लिए हर मंदिर की अलग समिति होगी, जिसका प्रबंधन कलेक्टर, एडीएम, एसडीएम, तहसीलदार और नायब तहसीलदार संभालेंगे। इसमें स्थानीय लोग भी होंगे।
पुजारियों की नई नियुक्ति होगी ?
जो पुजारी अभी काम कर रहे हैं अयोग्य पुजारी होने पर नई नियुक्ति होगी। स्थानीय निकाय पुजारी नियुक्त कर सकेंगे। गांव में यह अधिकार ग्रामसभा को होगा। सरकार ने इसमें यह तय नहीं किया है कि पुजारी का पद ब्राह्मण समाज के लिए ही आरक्षित होगा।
कलेक्टर कर रहे मंदिरों का चयन
जिलों में मंदिरों का चयन कलेक्टर करेंगे। सूत्र बताते हैं कि 40 कलेक्टरों ने काम पूरा कर लिया है। अभी मंदिरों का आंकड़ा 21 हजार के पार पहुंच गया है ? ब्राह्मणों से उनके पुजारी होने का अधिकार भी छीना जा रहा है और   व्यवस्था अनुसार  अन्य तबको  गेर  ब्राह्मणों  को पुजारी नियुक्त किया जाएगा ? राष्ट्रीय ब्राह्मण युवजन सभा की माँग है पुजारी पद ब्राह्मणों के लिए आरशित किया जाए  और केवल ब्राह्मणों को  पुजारी नियुक्त किया जाए अन्यथा  अपने अस्तित्व  के संधर्ष हेतु   ब्राह्मण  समाज  तैयार रहे ?  

Tuesday 13 December 2016

आपरेटर चाहे कितना भी अच्छा हो मशीन तो भ्रष्टाचार का जंग खाई हुई है //

  समूचा विपक्ष चीख चीख कर कह रहा मोदीजी ने नोटबंदी के पहले पूरी तैयारी नही की ? लेकिन मोदीजी ने कहा था हेराफेरी से कुछ होने वाला नही ये कागज के टुकड़े हो गये ? ये बात अब सही हो रही रोज लोग पकड़े जा रहे बेकिंग में गड़बड़ करने वालो का निचे से ऊपर तक चिठ्ठा तैयार है / अभी एक साथ इतनी कार्यवाही संभव नही वरना ई डी आय टी सीबीआई रा यहां तक की प्रायवेट डिटेक्टिव एजेंसियों से भी स्ट्रिग आपरेशन कराये जा रहे है रोज नोट पकडे भी जा रहे ? सोने और संपती में भी घुसे लोग भी नही बच पाएंगे ? लेकिन क्या करे यार आपरेटर चाहे कितना भी अच्छा हो मशीन तो भ्रष्टाचार का जंग खाई हुई है ?
 

Sunday 11 December 2016

अहंकार के वशीभूत हो वो देवत्व तो क्या अपनी इंसानियत भी खो देता है ?

 व्यक्ति    स्नेह  त्याग समर्पण  और   सद्भावना  के  अतिरेक में    अपना  प्रभाव   तक  का परित्याग  कर थोड़ी   देर  के  लिये  देवता  तुल्य    हो  जाता   है  ?  और   नई   पीढ़ी   को   जिम्मेदारी   देकर    आगे   आने  का   रास्ता  देने  के   बाद  उनकी  प्रतिभा  और  सफलता से  उद्धेलित   और  असुरषा की  भावना   से  मन   ग्रसित  करने   लगता  है ? ऐसी   विचलित   स्थिति में  अपने  अहंकार  के   वशीभूत हो  वो  रास्ते  में  काँटे  बिछाकर    अपने  देवत्व   तो  क्या   वो   अपनी   इंसानियत  भी  खो  देता  है  ?  जैसा  मिस्त्री  के साथ  टाटा  ने  और  अखिलेश  के साथ मुलायमसिह ने   किया /  ओरो  ने  भी  देश  काल  परिस्तिथियो   के  अनुसार  तुम्हारे हमारे  साथ  भी  किया  ??????????          

Monday 5 December 2016

इस देश के राजनैतिक भगवान ?

कड़वा सच ?  /// ? यह देश युगो तक मुगलो का गुलाम रहा वर्षो अंगेजो का फिर कांगेस का क्योकि हम मूर्ति पूजक लोग है हम साकार स्वरूप को पूजते हे निरंकार को नही इसलिये सिंदूर लगा पत्थर भी हमारा भगवान हो जाता है ! यही कारण हे व्यक्ति पूजा में हमारी सहज आसक्ति हो जाती है और हमे भी पता नही चलता ! इसीलिये इस देश में कई संत महात्माओ को अवतार मान पूजा जाता है / वही यहाँ की जनता अलग अलग क्षेत्रो में कामयाब लोगो को भगवान का दर्जा देने में भी देर नही कर करती क्रिकेट के क्षेत्र में सचिन तेंदुलकर और बॉलीवुड महानायक अभिताभ के तो मन्दिर बन चुके है और राजनीती के क्षेत्र में जयललिता की भी यही स्तिथि तमिलनाडु में रहेगी / इसीलिये  भारत की राजनीती भी व्यक्तिवाद पर आधारित है पहले देश ने गांधी नेहरू का फिर इंदिराजी का फोटो चला विपक्ष की मजबूरी थी उसके पास फोटो नही था ! इंदिराजी और राजीव ग़ांधी की मौत के बाद विपक्ष के पास  राम  का  फोटो हाथ लगा  अटलजी का फोटो  साथ रहा तीन चुनाव में अच्छी सफलता मिली फिर फोटो विहीन विपक्ष के सामने सोनिया, राहुल  ,प्रियंका का फोटो चला दस साल सरकार चली ! अब मोदी का फोटो देश में चल रहा है वो भी भगवान बनकर ! अन्य राज्यों में मुलायम ममता कभी मायावती लालू चलते रहे है ! केजरीवाल ऐसी श्रंखला में चल पड़े थे अगर सही चलते तो उनके फोटो में विकल्प की आपार संभावना थी लेकिन वो दिशाहीन हो गये ? नीति निर्धारण विकास महंगाई घोषणा पत्र राजनीतिक पार्टी सब गौण है ! फोटो महत्वपूर्ण है इस बात को मोदी भली भांति जानते है देश की नब्ज पहचानते है ? इसलिये पब्लिसिटी और मीडिया मैनेजमेंट को बखूबी सम्हालते है ! ये बात केजरीवाल भी जानते है ! अत: अपने अलावा आप में वो किसी को नही मानते है !
लेकिन इनके सामने प्रियंका गांधी अभी  भी सबसे बड़ी चौनोती बन सकती है ? क्योकि उसमे अपनी दादी इंदिराजी का अक्स नजर आता है और वो पीढ़ी अभी तो है जो इंदिराजी को जानती है, और जन भावनाओ को कुदेरना प्रियंका को भली भांति आता है / लेकिन देर हुई तो रामजी भली करे ?

Friday 2 December 2016

घरेलु आतंकीयो से कैसे निपटा जाता है ?

 कड़वा सच ?                                                                                                                                        ममता बेनर्जी  की  चीख  पुकार  अराजकता  और हिंसा फैलाने की धमकी भरे नापाक  इरादों  को  भांपते  हुए मोदीजी ने  पश्चिम  बंगाल में फ़ौज  को अभ्यास  के लिये / ट्रायल/ के लिये उतारा  की  ऐसे घरेलु आतंकीयो  से कैसे  निपटा जाता है ? सारे टोल नाके  और चेकपोस्ट  सेना ने अपने अधिकार में ले लिये ?


Tuesday 29 November 2016

आर्थिक मंदी के दौर में कालाधन अर्थ व्यवस्था सम्हालने में काम आता है । ऐसे ही कुछ अखिलेश  यादव  के बयान की बहुत आलोचना हुई । और अब लडखडाती अर्थ व्यवस्था और बैंको में डूबत कर्ज से गहराए वित्तीय संकट से उबरने के लिए कालेधन से 50 प्रतिशत की पाटर्नरशीप बिल  संसद में  पास कर मोदी सरकार ने   इस बात की सत्यता की पुष्टि करदी है ?

Monday 28 November 2016

मुंह में राम बगल में छुरी मोदी ऐसी क्या थी तेरी मज़बूरी ? जबकि देश की जनता तेरे साथ थी पूरी ?

कड़वा सच ? मोदी की बारूद फूस ?// कालेधन वालो की विजय // केन्द्र की चोटी सरकार ?
भारत दुनिया का पहला देश है जहाँ की सरकार ने चोरी बेईमानी भ्रष्टाचार को क़ानूनी मान्यता दे दी ? और सरकार को उसमे ५० प्रतिशत का पाटर्नर बनाया ? यदि खाली सरकारी खजाने को कालेधन से भरने और हजारो करोड़ो के अपने चहेतो के लोन और टेक्स माफ़ करने के लिए बैंक को फंड उपलब्ध कराने हेतु किये गए मोदी के ड्रामे ने सारे देश की जनता और देश को कठिनाईयो में डाला ? मोदी की ये नोटँकी कालाधन और भ्रष्टाचार समाप्त करने की नही बल्कि उसको सफ़ेद करने की थी ये बिल लोकसभा में पास कराकर मोदी ने  येन केन प्रकारेण अपनी नियत को  स्पष्ट कर दिया  ? और इसको हमेशा केलिए कालेधन को सफ़ेद करने का कानून बना दिया ? विपक्ष को चाहिए अपनी सकारात्मक भूमिका निभाते हुए राज्यसभा में ये बिल जनहित में पास न होने दे ?
और भ्रष्टाचार और कालेधन वालो के प्रति मोदी के बदनीयती को बेनकाब करे ? क्या इस धोखेबाजी के लिये देश की जनता ने इतनी तकलीफ उठाकर मोदी को इतना प्यार और सम्मान दिया की कालाधन सफ़ेद कर दे ? भ्रष्टाचार की कमाई को कानूनू मान्यता दे ५० / ५० प्रतिशत बाँट ले ?
सीधी भाषा में मोदी ने देश की जनता को छला है ? उनकी आँखों में मिर्ची झोक दी ऐसा विशवास घात आज तक देश और दुनिया की किसी सरकारने अपने देश की जनता के साथ नही किया ?

भागते छुपते मिलते बिछुड़ते विपक्ष के लिये ?

  कड़वा सच ?//   //
भागते  छुपते  मिलते बिछुड़ते  विपक्ष  के लिये आज  भाजपा  नही  मोदी सबसे बड़ी  परेशानी  है ? अनाड़ी  विपक्ष  यदि समझदारी से काम लेता  और कालाधन  भ्रष्टाचार  के मुद्दे पर देश हित में आवाज मिलाता तो इस  आर्थिक क्रान्ति का मोदी अकेला  सारी लोकप्रिता का हक़दार नही हो पाता ? जिस तरह नितीश ने  अपनी इमेज  क्रिएट की  विपक्ष  समझ पाता  तो  सम्पूर्ण  क्रांति  का नारा   दोहराता  /  और  कांग्रेस को तो विचलित  होने की आवश्यकता ही नही  वो  इतने सारे सहयोगी दलो पर टिक्की थी की इतने  कड़े फैसले  लेना संभव नही था ?  आवश्यकता तो इस बात की थी  की  जंतर  मन्तर पर  अण्णा हजारे के मंच पर इस  विवशता   का एलान  सोनिया या राहुल ने जाकर करना था ? जब अन्ना चिल्ला चिल्ला के बुला  रहा था / अभी भी  वक्त है  मोदीजी ने पचास  दिन में सारी व्यवस्थाओ को ठीक ठाक  करने का  समय माँगा  है लेकिन  हालात स्पष्ट है की  इतनी  जल्दी इतनी अव्यवस्थाएं ठीक नही हो सकती  क्योकि  आपरेटर  कितना  भी  अच्छा हो मशनरी तो जंग खाई  हुई है  और  बैंकिग  व्यवस्था   ने अपना रंग  दिखा  ही दिया   किसके  तार  कहाँ  जुड़े  है  ?  उस पर ध्यान दो ? पचास  दिन  इंतजार करो  उसके बाद   समय  और परिस्तिथियो  के अनुसार  कार्यवाही को  अंजाम  दो  ?

Saturday 26 November 2016

क्या रिजर्व बैक भी षड्यंत्रकारी नहीं है !

Sunday, 27 November 2016 
कड़वा सच ?
क्या रिजर्व बैक भी षड्यंत्रकारी नहीं है !
३०० करोड़ की सब सीडी लेकर डकारने के बाद भी टाटा का नेनो कारखाना बंद हो जाता है !
६००० हजार करोड़ रुपया बैक का पचाकर विजय माल्या और उसका बेटा एय्याशी में लिप्त हो किंग फिशर एयरलाइंस को डूबा ने का दांव खेल विदेश भाग जाता है ! कुल साढ़े चार लाख करोड़ से भी ज्यादा रुपया मात्र ३६ कार्पोरेट घरानो पर बकाया है ! जिसे बैंक ने डूबत ऋण मानते हुए यह मानलिया की वसूली संभव नही ! क्या रिजर्व बैंक का इन पर कोई नियंत्रण नही क्या नेशनलाइज बैंक केंद्र सरकार की दामाद है ? जो रिश्वत खाकर देश का रुपया फूक रहे ! वही दूसरी और सहकारी बैक जो देश की ८० प्रतिशत ग्रामीण जनता की आर्थिक जरूरते पूरी करते है/ उनकी विश्वसनीयता पर सरकार ने उन्हें नोटबंदी की कार्यवाही से दूर रख कर प्रश्नचिन्ह लगा दिया ? जब रिजर्व बैंक से निकले नए नोट पूरी तरह बैंक में पहुंचने के पहले लाखो की संख्या में  ट्रेवल करते पकडे जाते ये फाल्ट किसका  रिजर्व बैंक  की संलिप्तता जगजाहिर  हो चुकी है ? जबकि सहकारी बैंक को सरकार से या रिजर्व बैक से एक रूपये की सहायता भी नही दी जाती ! ये बैंक अपने निज प्रयासों से पैसा जमाकर सदस्यों की मदद करते है ! उन पर हजारो नियम कायदे दम घोटु वातावरण निर्मित कर इनके सदस्यो का नेचर और उनकी परिस्तिथियो को जाने समझे बिना विदेशी बैको के विस्तार के लिये एन पी ए का स्वांग कर इनको बंद कराने का षड्यंत्र क्या देश हित में है !
कड़वा सच ??
भारतीय राजनीती  वीभत्स  स्वरूप  ले  अपने   चरम  पर   है  क्योकि  भारत  के  विपक्ष  के  राजनेताओ  के सामने करो  या  मरो   के  सिवाय   कोई  रास्ता  नही है ?  जब  आदमी  की   दौलत  और  शोहरत  दोनों  एक  साथ लुट जाने  को  है ?  तो   उसके  बाद  जीने  की   वजह  ही  न रहेगी ? अत; ये लोग  किस भी  हद  तक  जा सकते अंदेशा  है कि  विरोध आंदोलन  के  दरम्यान  हिंसा और  अराजकता  का  सामना  सरकार को  करना  पड़  सकता है /

Thursday 24 November 2016

वो कहता है तो कांग्रेस मुक्त भारत कर के रहेगा ?

कड़वा सच ?                                                                                                                                          अपने  विवेक हिन्  नेताओ की वजह से  काग्रेस   बदनाम  हो गयी। पहले दिग्विजयसिह ने खूब उलूल जुलूल  बयानबाजी कर  के अपनी छवि हिन्दू विरोधी बनाई ? फिर आतंकियों को सम्मान दे कांग्रेस की छवि  राष्ट्र विरोधी बनाई ? और अब राज्यसभा में  गुलाम नबी  आजाद ने  रही सही कसर  पूरी कर डाली पक्की मोहर लगा ली ? और  अब बिना समय गवाए demonetization का विरोध कर के कांग्रेस  भष्टाचारियो और काले धन वालों के साथ नज़र आ रही हैं। अब थोड़ा संभलने की कोशिश करें  लोग  भूल जाये  तो मोदी जनता को भूलने नहीं  देगा ? वो  कहता है तो  कांग्रेस मुक्त भारत कर के रहेगा ?  जिसमे  कांग्रेस  के  नेता  दिग्गी  गुलामनबी  आजाद  और  आनंद  शर्मा  का  महत्वपूर्ण  योगदान  रहेगा  ?

Friday 18 November 2016

// राहुल की दिशा हिन् राजनीती फीकी है सरस नही //

// राहुल की  दिशा  हिन्  राजनीती फीकी है सरस नही //
राहुल की राजनीती फीकी है सरस नही ! क्योकि ये भावना प्रधान देश है और सोनिया राहुल को लोगो की भावनाओ को भड़काना नही आता वे दोनों इसीलिए असफल है ! जबकि इसी हथियार से प्रियंकाजी ने माँ बेटे को जीत दिलवाई ! राहुल के लिए बेहतर है लोगो से भावनात्मक रूप से जुड़े बाप और दादी की शहादत को नजर अंदाज न करे और मोदी का नाम लेना बंद करे ? जनता खुद बखुद शौर मचाएगी लेकिन आप आलोचना करोगे तो सिम्पेथी मोदीजी के साथ जाएगी और बीजेपी आप को अपने कायर्काल का आईना दिखाएगी और कांग्रेस मुक्त भारत की भविष्यवाणी चरितार्थ हो जायगी ? इसलिये बेहतर है इन सब बातो को ठंडी होने तक अपने संगठन को ग्रास रूट तक मजबूत करो ! देशहित में अच्छे कार्यो की प्रशंसा करने की आदत डालो जनता की सहानुभूति मिलेगी क्योकि भारत का लोकतंत्र नीतियों से नही दिल से चलता है ? दिल जितने की कला आना चाहिए ! केजरीवाल की तरह मीडिया में बने रहने के लिये मोदी से कंपीटिशन कर राष्ट्र हित के खिलाफ उलुल जुलूल बयान बाजी कर अपने प्रति लोगो में नफरत पैदा न करे ? क्योकि ये आपा धापी चार दिन की है अभी जनता को जो बेहतर लगा रहा है उसके नतीजे भी बेहतर आने लगे तो ? मुँह छुपाना मुश्किल होगा अत: बेहतर है चुप रहे समय का इंतजार करे ? समय बड़ा बलवान होता है ?

Wednesday 16 November 2016

जनता सब देख समझ रही है उन्हें मजा जरूर चखाएगी ?

  कड़वा सच ? भीड़ लाइन और भगदड़ से हमारा पुराना रोज मरे का नाता है तीज त्यौहार पर मन्दिर मेले नदी घाट पर मात्र अफवाह फैलने से वीभत्स घटनाओ में जन धन की हानि आम बात है / तो देश के लिए लाइन लगाने में और कोइ अनहोनी हो जाने में हायतोबा क्यों ? आज जो थोड़े दिनों की तकलीफ है सब कुछ सामान्य होने के बाद देश की जनता सब भूल जायेगी ? लेकिन जो राजनेता कालेधन और भ्र्ष्टाचार का समर्थन कर है और इस कदम का विरोध कर देशवासियो को उकसाकर देश में आशांति और हिंसा भड़काने की भरसक कोशिश कर रहे जनता उन्हें मजा जरूर चखाएगी //

Monday 14 November 2016

// खोटा नारियल होली में // ?

  कड़वा सच ? //  खोटा  नारियल  होली में  // ?
उतर प्रदेश के  यादवी  संधर्ष में  चाचा भतीजे सब एक  हो गये  और इस संधर्ष  की   जिम्मेदारी  रामगोपाल यादव के माथे  ठोंक   शिवपाल ने  रामपाल को  पार्टी से निकाला ? अपना सिक्का जमाया और  अखिलेश पर जो गुस्सा था  रामगोपाल पर उतारा ? अखिलेश तो अभी यादवी बारात का दूल्हा  है  उसने  भी  यह कह कर की  फैसला  नेताजी करेगे अपना पीछा छुड़ाया // खोटा  नारियल होली में  रामगोपाल  बेचारा ?

Wednesday 9 November 2016

कड़वा सच ? / भारी करी रे नमोनाथ जानी करि सकियो कोई उंगली तूने घुसेड दियो पुरो हाथ ?

कड़वा सच ? // भारी करी रे नमोनाथ जान नी करि सकियो कोई उंगली तूने घुसेड दियो   पुरो हाथ ? स्वतन्त्र भारत के इतिहास में अच्छे दिन आ गए ? भ्र्ष्टाचार कालेधन और मंहगाई के खिलाफ ये साहसिक फैसला लेने का सामर्थ केवल मोदीजी जैसा लोह पुरुष ही ले सकता है / लोकहित के इस क्रन्तिकारी निर्णय के विरोध में जो उल्लूल जुलूल विधवा विलाप कर गन्दी राजनीती पिरोह रहे वे अपनी बच्ची कुच्ची राजनीतिक जमीन से भी हाथ दो रहे ? सही और अच्छी बात को स्वीकार करने के लिए नैतिक बल चाहिए जो विरोधी दलो में नही है ? जबकि राष्ट्रहित और जनहित के फैसले निहित राजनीतिक स्वार्थ से नही देखे जाते / लेकिन सीमा पर आतंकवाद के खिलाफ और देश में कालाधन और भ्र्ष्टाचार के विरुद्ध मोदीजी द्वारा की जा रही सर्जिकल स्ट्राइक का विरोध राजनितिक सोच का दिवालियापन है ? 

Thursday 27 October 2016

मुलायम राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं, तो अखिलेश मार्क्स लीडर है ?

मुलायम राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं, तो अखिलेश अभी उतर प्रदेश में मार्क्स लीडर की भूमिका में है ? मुलायम सिंह यादव पहलवान रहे हैं, वो धोबी पछाड़ के माहिर रहे हैं, ये बात राजनीति समझने वाला हर आदमी जानता है. 1979 में वो जब विधायक बने थे तब से लेकर 1992 तक कई बारीक़ियाँ सिखकर बेनीप्रसाद वर्मा के साथ पार्टी बनाई. फिर बसपा के साथ मिलकर मुख्यमंत्री बने, फिर वो चर्चित गेस्टहाउस कांड जिसके बाद वो एक गुंडा पार्टी के नेता के तौर पर जाने गए. . 2006-07 जब लेफ्ट से सरकार गिराने का वादा करके यूपीए सरकार के साथ खड़े दिखे नेता जी. फिर एक बार फिर से 2013 में राष्ट्रपति चुनावों में ममता बनर्जी को धोखा दिया, जब वादे के खिलाफ जाकर प्रणब दा को समर्थन किया. कहते हैं क़ि मुलायम सिंह यादव वो नेता हैं जो राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए कुछ भी कर जाते हैं, वो अपने उन दुश्मनों को फिर से पार्टी में ले लेते हैं जिन्होने उनपर कभी गोली चलवाई थी. राजा भैया, बेनी प्रसाद, आज़म ख़ान, अमर सिंह, अजीत सिंह, इमामबुखारी और धार्मिक नेताओं के साथ उनके रिश्ते बनते बिगड़ते रहे हैं.   तो अखिलेश युवा होने के कारण मोदी के  पसंदीदा  मुख्यमंत्री  है ? .   अखिलेश हर बात को दिल पर ले लेते हैं,? जबकि मुलायम राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं, तो अखिलेश भी कम नही  आवश्यकता  पड़ने पर  अपने राजनीतिक  अस्तित्व  के लिए  चुनाव के बाद बीजेपी की बेसाखी  थामने  में देर नही करेगे ?  

Wednesday 19 October 2016

समय की पुकार है नई क्रान्ति का शंखनाद है ?

  // कड़वा सच // ? आज देश में हर सेक्टर में घटती नोकरियों की समस्या विकराल होती जा रही है ? कम्पनी में फ्यूचर की कोई उम्मीद नही है ? कोई इंक्रीमेंट नही कास्ट कटिंग और भारी कॉम्पटीशन के चलते घटते प्रॉफिट आफ मार्जिन के कारण सम्भव नही की कम्पनियां बेहतर सैलेरी दे पाए। और अगर अनियोजित क्षेत्र को लो तो बहुत हालात खराब है। छोटी छोटी कम्पनियों में, दुकानों, पर काम करने वाले माल के कर्मचारियों ,निजी स्कूलों के टीचर,,कमर्सियल सेक्टर में ,हालात बहुत खराब 5 हजार से 10 हजार तक मिलते हैं।आखिर कैसे जिए इंसान कैसे परिवार चालाए फ्यूचर प्लानिग क्या ख़ाक किया जाया ? रेहड़ी वाले,खोमचे ठेले वाले,सब्जी वाले,रिक्सा पुलर,ड्रायवर मिस्त्री कारीगर मजदुर तो बढ़ती मंहगाई से खुद भी मंहगे हो जाते  और  सरकारी खेरात  के इनके लिए  द्वार खुल जाते ? लेकिन अनियोजित क्षेत्र // प्रायवेट नोकरी// वाले कितनी जद्दो जहद कर रहे जीने के लिए ? जब हम देखते हैं सरकारी कर्मचारियों  लगातार  उत्तरोत्तर बढ़ोतरी  के साथ पेंशन का लाभ मिल रहा है आखिर ये  विसंगति क्यों ?  सरकार को चाहिए की देश के प्रत्येक नागरिक को ६० साल की उम्र के बाद उसे सरकार पर आश्रित मान जैसे साशकीय कर्मचारियो अफसर,पुलिस कलेक्टर से लेकर चपरासी,नेता,मंत्री हर आश्रित व्यक्ति को जितना व्यक्ति को जीवन यापन हेतु लगता है उतनी एक सामान सब को पेंशन दे ? क्योकि जब व्यक्ति सेवा में था उसकी जितनी योग्यता का दोहन सरकार ने किया उतना भुगतान सेवाकाल में उसने प्राप्त कर लिया? अब आश्रय निधि तो हर आश्रित को सामान मिलना चाहिए यही सामाजिक न्याय है ? समय की पुकार है  नई  क्रान्ति  का शंखनाद है ?जिसमे दलित मुस्लिम सवर्ण हिन्दू सब साथ है ? बहुत सह लिया अब नही होने देगे आने वाली पीढ़ी के साथ ये अत्याचार है ? ?

कम्पनीयो में फ्यूचर की कोई उम्मीद नही है ?

// कड़वा सच // ? आज देश में हर सेक्टर में घटती नोकरियों की समस्या विकराल होती जा रही है ? कम्पनीयो  में फ्यूचर की कोई उम्मीद नही है ? कोई इंक्रीमेंट नही कास्ट कटिंग और भारी कॉम्पटीशन के चलते घटते प्रॉफिट आफ मार्जिन के कारण सम्भव नही की कम्पनियां बेहतर सैलेरी दे पाए। और अगर अनियोजित क्षेत्र को लो तो बहुत हालात खराब है। छोटी छोटी कम्पनियों में, दुकानों, पर काम करने वाले माल के कर्मचारियों ,निजी स्कूलों के टीचर,,कमर्सियल सेक्टर में ,हालात बहुत खराब 5 हजार से 10 हजार तक मिलते हैं।आखिर कैसे जिए इंसान कैसे परिवार चालाए फ्यूचर प्लानिग क्या ख़ाक किया जाया ?।रेहड़ी वाले,खोमचे ठेले वाले,सब्जी वाले,रिक्सा पुलर,ड्रायवर मिस्त्री कारीगर मजदुर तो बढ़ती मंहगाई से खुद भी मंहगे हो जाते लेकिन अनियोजित क्षेत्र // प्रायवेट नोकरी// वाले कितनी जद्दो जहद कर रहे जीने के लिए ? जब हम देखते हैं सरकारी कर्मचारियों को लगातार   पेंशन  का उतरोतर बढ़ोतरी के  साथ लाभ मिल रहा है। तो आखिर ये भेदभाव क्यों ?सरकार को चाहिए की देश के प्रत्येक नागरिक को ६० साल की उम्र के बाद उसे सरकार पर आश्रित मान जैसे साशकीय कर्मचारियो अफसर,पुलिस कलेक्टर से लेकर चपरासी,नेता,मंत्री हर आश्रित व्यक्ति को जितना व्यक्ति को जीवन यापन हेतु लगता है उतनी एक सामान सब को पेंशन दे ? क्योकि जब व्यक्ति सेवा में था उसकी जितनी योग्यता का दोहन सरकार ने किया उतना भुगतान सेवाकाल में उसने प्राप्त कर लिया? अब आश्रय निधि तो हर आश्रित को सामान मिलना चाहिए यही सामाजिक न्याय है ?

Sunday 16 October 2016

ये राजनीती नही ? धर्मनिरपेक्षता के साथ बालात्कार है ?

 सुब्रमण्यम स्वामी  की   पुत्री ने मुस्लिम से शादी की है सुहासिनी हैदर हो गयी ? बेटी का वैवाहिक जीवन बचाने के प्रयास में सारे देश में साम्प्रदायिकता का जहर फैला रहे / सुप्रीम कोर्ट को अपना काम करने दो  फैसला  आया नही  कानून   अभी   बना नही  तुम  थोपने  आ गये ? तुम बिच में बोलंने वाले कौन एक पीड़ित बेटी के बाप खुलकर सच बोलो की मेरी बेटी को हैदर तीन बार तलाक बोलकर दूसरी शादी कर रहा ? तो लव जिहाद वालो के पास जाओ उसकी घर वापसी कराओ ? सारे देश में साम्प्रदायिक उन्माद मत फैलाव ? न्यायपालिका  पर  साम्प्रदायिक  दबाव  बनाने का घृणित  कुत्य  मत  करो ?  ये  राजनीती नही ? धर्मनिरपेक्षता   के  साथ  बालात्कार  है   ?  


Thursday 13 October 2016

// गुडगवर्नेस याने अच्छा चुस्त दुरुस्त प्रसाशन ?//

// गुडगवर्नेस याने अच्छा चुस्त दुरुस्त प्रसाशन ?//
गुडगवर्नेस का वादा करने वाली सरकार में आज भी कई अनगिनत विसंगतिया पूर्ण नीतियां चली आ रही है जो आम आदमी को बेवकूफ बना लूट रही है / अब दवाई कंपनियों को ही ले सरकार ने उन्हें अपने प्रोडक्शन की मन चाही कीमत निर्धारित करने की छूट दे रखी है / कंपनियां ५० से ६० परसेंट बढ़ाकर कीमत प्रिंट करती है ? क्योकि शासकीय अस्पताल में दवाई सप्लाय के टेंडर की शर्त रहती है की प्रिंट कीमत से कितना अधिक डिस्काउंट जो कंपनी दे वही सप्लाय करे अत: कंपनियां द्वारा इतनी बड़ी हुई कीमत प्रिंट की जाती / लेकिन खुले बाजार में प्रिंट कीमत पर बेचीं जाती है ? जो जानते है मोलभाव करने में एक्सपर्ट वो 30 डिस्काउंट ले लेते / लेकिन बाकी आम आदमी तो इतनी ऊँची कीमत पर दवाई लेने को मजबूर है / और अधिकतर तो अपनों की पीड़ा से पीड़ित ग्राहक पूछता भी नही न कीमत पड़ता है ? दवाई कंपनियों को कंट्रोल करने का काम ड्रग कंट्रोलर का है लेकिन आज तक आवाम के सामने एक भी बार यह विभाग अपनी उपस्तिथि भी नही दर्ज करा सका है ?

Tuesday 11 October 2016

/// शिवराज मामा इनका भी सोचो ? //


// कड़वा सच ?/// शिवराज मामा इनका भी सोचो ? //
पुनः पेशन प्रदान करने की घोषणा शासकीय कर्मचारियों के लिये हमदर्दी की अच्छी बात है लेकिन में मामाजी का ध्यान नोजवान भारत की आने वाली पीढ़ी जो ज्यातर सेल्फ़ एम्प्लाई या प्रायवेट जॉब करते रिटायर्ड या डिसएबल होने पर उन्हें कोई सहायता नही मिलती और आजकल इतनी महंगाई है की तनख्वाह तो पहले ही कम पड़ती है भविष्य का प्लानिग कैसे हो ? पेंशन के आकर्षण के कारण ही सरकारी नोकरियो की इतनी मारा मारी है जो मिलती ही नही आरक्षण के मन मुटाव में भी मूल कारण यही है अत: क्यों न ?
प्रदेश स्तर पर एक निश्चित उम्र के बाद सरकार प्रत्येक व्यक्ति के भरण पोषण की जिम्मेदारी ले उसके पोषण के लिये जितना व्यय लगता उसे दिया जाए फिर चाहे वो अपने जीवन में कलेक्टर हो मिनिस्टर हो ड्राइवर या चपरासी ? भरण पोषण तो सब को सामान ही लगेगा क्योकि जब व्यक्ति की प्रतिभा और क्षमता का दोहन किया गया तब उसे उसका पूरा पारिश्रमिक दिया गया है / अब ये पेंशन जो है आश्रय निधि है और हर आश्रित को बराबर मिलना चाहिये ? यही सामाजिक न्याय है 

Wednesday 21 September 2016

// कड़वा सच ? मोदीजी को यू एन ओ में दबाव बनाना चाहिये ?

 मोदीजी को यू एन ओ में दबाव बनाना चाहिये  ? की पाकिस्तान आतंकवादी देश घोषित हो ? ये घोषित होते ही साले पर इतने प्रतिबंध लग जाए की खुद ब खुद मर जाएगा / वैसे भी पाकिस्तान में हालात गंभीर है इस लिये कश्मीर के नाम पर उलझन कर अपनी सत्ता बचाने की ये राजनीतिक चाल है / इस्लामिक आतंकवाद और कट्टरता फैलाने की लाख कोशिशो के बावजूद भारत के देश भक्त मुसलमानो को मानना पड़ेगा भले आपस में छिटपुट दंगे हो जाते है ? पर ऐसे तत्वो को कश्मीर के अलाव देश के अन्य हिस्से में कही भी किसी ने भी पनाह नही दी / वरना दुनिया की सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला हमारा देश है ?

Monday 19 September 2016

// कड़वा सच ? उरी के आतंकी हमले की दास्तान शर्मनाक है

// कड़वा सच ? उरी के आतंकी हमले की दास्तान शर्मनाक है चार आतंकी फोजी केम्प में घुसकर केम्प के अंदर सत्रह लोगो को भून देते है / तो कही दो आतंकी फोजियो से भरी बस में घुसकर सारी बस में बैठे फोजियो को उदा देते ? कहि न कहि चौकसी पर प्रश्नचिन्ह है ? ये गुरिल्ला युध्द है ? दुनिया की मानी हुई इंफ्रेंटी के केम्प पर हमला अचानक नही की कोई बम या मिसाइल से हुआ हो / चार लोग आये बाकायदा नक्शा साथ लाये और केम्प तक पहुच गए / १०५ मिनिट वहां रहे रेकी भी की तो वहां मौजूद चार हजार के करीब फोजी और उनके प्रहरी ? ?

Saturday 16 July 2016

! ! कड़वा सच ! ! भाजपा ने नेताओ की उम्र की गाइड लाइन तैय्यार कर ७५ वर्षीय नेताओ को रिटायर्ड किया तो ! कांग्रेस द्वारा ७८ वर्षीय शीला दीक्षित को उ प्र का मुख़्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर बीजेपी के इस निर्णय के खिलाफ विरोध दर्ज करने का तरीका पसंद आया !

Sunday 26 June 2016

! ! शिवराज सिंह चौहान ने पत्रकारों को जो ‘तोहफ़े’ में दी 60 रुपये वर्गफ़ुट में ज़मीन क्या इनके बाप की थी ! !

कड़वा सच !
! !शिवराज सिंह चौहान ने पत्रकारों को जो ‘तोहफ़े’ में दी 60 रुपये वर्गफ़ुट में ज़मीन क्या इनके बाप की थी ! !
मध्यप्रदेश के तमाम पत्ररकारों का खामोश हो जाना यही वजह है कि 40 क़त्ल वाले व्यापम यज्ञ के बावजूद मीडिया में कभी मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ वैसी निशानेबाज़ी नहीं दिखती जैसे कि दिल्ली के छोटे से छोटे मामले में केजरीवाल के खिलाफ दिखती है। कारावाँ पत्रिका के ताज़ा अंक में एक दिलचस्प स्टोरी छपी है जो बताती है कि शिवराजसिंह चौहान पत्रकारों को साधने में किस कदर उस्ताद हैं। उनकी सरकार ने 300 से ज़्यादा पत्रकारों के दो आवासीय समितियों को 60 रुपये वर्गफुट कीमत पर रिहायशी ज़मीन दे दी। तर्क यह बना कि ऐसा ही उदारता जजों की आवासीय समिति पर दिखाई गई थी…! पढ़िये यह रिपोर्ट–
''कारवाँ'' के जून अंक में आने वाली कवर स्टोरी के लिए मध्यप्रदेश में रिपोर्टिंग कर रहे थे।
तब कवर स्टोरी सेवानिवृत्त और कार्यरत जजों की एक रिहाइशी सहकारी समिति पर थी। हम पड़ताल कर रहे थे कि कैसे मध्यप्रदेश सरकार ने 2007 में भोपाल की एक प्राइम लोकेशन की ज़मीन इस समिति को लीज़ पर बेहद सस्ती दरों पर आवंटित कर दी थी। इतनी सस्ती कि लगभग ये मुफ़्त थी। इस समिति के सदस्यों में हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज चंद्रेश भूषण भी शामिल थे जिन्हें बाद में व्यापम घोटाले की जांच के लिए गठित SIT का मुखिया बनाया गया। इस समिति के लिए ज़मीन की दर 60 रुपए प्रति स्क्वायर फुट या 6 सौ रुपए प्रति स्क्वायर मीटर रखी गई जिसे सीएम शिवराज सिंह की अगुवाई वाली कैबिनेट से मंज़ूरी दे दी गई थी।
उसी दौरान दो और समितियों को कम दाम पर ज़मीनें लीज़ पर दी गईं थीं। दोनों समितियां पत्रकारों ने बनाई थीं। जजों की समिति के लिए आवंटित ज़मीन की लीज़ को राज्य की कैबिनेट ने 2008 में पास कर दिया था। वहीं राजधानी पत्रकार गृह निर्माण सहकारी समिति को 11.6 एकड़ ज़मीन भोपाल एयरपोर्ट के पास दी गई और अभिव्यक्ति गृह निर्माण सहकारी समिति को बावड़िया कलां एरिया में 6.3 एकड़ ज़मीन दी गई। (राजस्व विभाग के मुताबिक उस समय बावड़िया कलां में रिहाइशी कॉलोनी के लिए ज़मीन की तय कीमत 3 हज़ार रुपए प्रति स्क्वायर मीटर थी।)
इन दोनों मामलों में प्रशासनिक प्रक्रिया उसी तरह ताक पर रखी गई जैसे जजों की समिति के मामले में किया गया था। । । फरवरी 2009 में अभिव्यक्ति सोसायटी के अध्यक्ष दिनेश गुप्ता ने राजस्व विभाग को चिट्ठी लिखकर जजों की समिति का हवाला देकर याद भी दिलाया कि उनकी समिति के साथ भी वैसा ही व्यव्हार किया जाए।
पत्रकारों की इन दोनों समितियों में लगभग 300 नाम शामिल हैं। जो शिवरजसिहजी की स्तुति में व्यस्त है मस्त है !
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Tuesday 14 June 2016

श्रदेय नारायणप्रसादजी शुक्ला ! भैय्या ! के द्वितीय पूण्य स्मरण दिवस पर हार्दिक श्रध्दा सुमन !!

मालवा के ब्राह्मणो के  आदर्श चरित्र  गृहस्थ  संत  राजनीतिक  सूझबूझ  और  संभावनाओं के   भविष्य   द्रष्टा परम  श्रदेय  नारायणप्रसादजी  शुक्ला !  भैय्या !  के द्वितीय  पूण्य   स्मरण   दिवस  पर   हार्दिक  श्रध्दा  सुमन  !!
निम्न  मध्य्यम्वर्गीय  परिवार में  जन्मे  नारायण  भाई   शेशव  से  यौवन तक एक  सामन्य प्रवृत्ति  के  व्यक्ति थे  ! लेकिन  अपने  विद्यार्थी  जीवन  में  विश्व्विद्यालयिंन   शिक्षा  के  दौरान  १९५२  में  नारायण  भाई की  अगुवाई  में  हुए  ऐतिहासिक छात्र  आंदोलन  में  घटित  गोलीकांड  ने  भैय्या  को  राजनीतिक व्यक्ति बना दिया !  उसके बाद  इंदौर  के महापौर   प्रदेश सरकार  में विधान सभा उपाध्यक्ष  फिर गृह  राज्य  और सुचना  प्रसारण मंत्री  तक का निष्कलंक  सफर रहा  ! परम  भगवती  उपासक  भैय्या की  राजनीतिक सूझ   बुझ   का  लोहा   तत्कालीन  राजनीती के  बड़े बड़े  दिग्गज  भी   मानते  थे आपको  राजनीती में  ब्राह्मणवाद  के  प्रणेता  के   रूप   में   देखा जाता  है ! तात्कालीन   राजनीती के  चाणक्य  कहे जाने वाले  पं   द्वारकाप्रसादजी  मिश्र   आपसे  पुत्रवत  स्नेह  रखते थे  और शायद  इसीलिए  भैय्या  की राजनीती  शैली  पं मिश्रजी से पूरी तरह  प्रभावित  रही !  उन्ही की भाँती  भैय्या भी  जीवनपर्यंत   अप्रत्यक्ष   रूप से  राजनीती में अपना दखल  बनाये   रखते  हुऐ   अपने  अनुयायियों  को   राजनीतिक   उपलब्धियां   उपलब्ध  कराते  रहे !! ऐसे   संत   ह्रदय  भैय्या  के  पूण्य स्मरण  दिवस   १५  जून पर  हार्दिक   श्रंदाजलि  !!



Saturday 11 June 2016

अलका और प्रदीप के प्रेम और आदर्श के 26 साल !

अलका और प्रदीप के प्रेम और आदर्श के 26 साल !
मित्रो ! औदुंबर ब्राह्मण समाज के पूर्व अध्यक्ष संत ह्रदय साथी प्रदीप जोशी एवं प्रगतिशील विचरो वाली आदर्श ग्रहणी श्रीमती अलका जोशी के साथ आज से 26 वर्षो पहले औदुंबर समाज की धर्मशाला में आयोजित परिचय सम्मेलन में जो क्रन्तिकारी सुखद हादसा हुआ उसकी मिसाल नही दोनों वर वधू को भी पांच मिनिट पहले तक अहसास नही की चंद घडियो में स्टेज पर वरमाला पहनाकर उनका आदर्श विवाह होने वाला हे ! मौजूदा जन सैलाब के उत्साह और उमंग को शिरोधार्य कर वर माला पहनाकर आदर्श विवाह कर समाज को नई दिशा देने का काम भाषण से नही आचरण से दिया हे इन दोनों ने इसकी जितनी प्रसंशा की जाये कम है ! मेरी राजेश शुक्ला और मनोज जोशी की इस विवाह में महती भूमिका रही जिसकी हमे आज भी प्रसन्नता है !लेकिन मुझे अफसोस है की सारे समाज औरउसके तथाकथित कर्णधारो की मौजूदगी में ये प्रसंशनीय कार्य हुआ ! परन्तु इनकी सराहना और सम्मानकी आज तक समाज ने पहल नही की इस आयोजन में बतौर अतिथि स्व सदाशिव दुबे और वरिष्ठ पत्रकार सतीश जोशी भी उपस्थित थे !
इस ब्लाक का उदेश्य आलोचना नही नई पीढ़ी को अवगत करना और पेरणा देने का है !

Saturday 28 May 2016

स्वर्ण हिन्दू को शक्ति हींन बना रहे !

कड़वा सच ! मध्य्प्रदेश  सरकार  ब्राह्मणो के सम्मान और स्वाभिमान को नष्ट कर दलित तुष्टिकरण हेतु गैर  ब्राह्मणो को पुजारी नियुक्त करने व् उन्हें कर्मकांड का प्रशिक्षण  देने  पर आमादा है  / शिवराज जानते है प्रदेश का ब्राह्मण बीजेपी और मोदी का अंध भक्त है क्या करेगा ! इससे बीजेपी को क्या फर्क पड़ेगा ! पहले स्वर्ण हिन्दूओ को मुसलमानो से लड़वाया भिडवाया जमके पिटवाया ताकि डरा सहमा स्वर्ण हिन्दू अपनी जान माल की सुरक्षा हेतु इनका पिच्छेलगू बना रहे ! अब दलितों से वैमनस्य कराकर स्वर्ण हिन्दू को शक्ति हींन बना रहे !क्योकि इन्हे अति आत्म विशवास है की देश में इनका कोई विकल्प नहीं है लेकिन भाजपा और शिवराज ये न समझे ब्राह्मणो के खिलाफ मध्यप्रदेश सरकार की  दमनकारी नीति का देश के अन्य  ब्राह्मणो  को  जो पुरोहित कर्म नहीं करते  उन्हें  कोई  फर्क नहीं  पड़ेगा लेकिन अब वो समय गया ब्राह्मणो में चेतना और जागृति आई है मध्यप्रदेश का बयालिस  लाख  ब्राह्मण परिवार बीजेपी के ब्राह्मणो के प्रति नकारात्मक रवैये को देख और समझ ही नहीं रहा जवाब देने की तैय्यारी में है !
धीरज दुबे एड !
प्रवक्ता राष्ट्रीय ब्राह्मण युवजन सभा 

Friday 6 May 2016

रामघाट पर अमृत मंथन !

 कड़वा सच ! रामघाट पर अमृत मंथन
सिंहस्थ मै साधू संतो के लिए ही अमृत स्नान का विधान था और इसके भी केवल वे ही साधू संत नागा अधोरी ब्रह्मचारी कर्मकांडी तांत्रिक वैदिक पूजा पाठी अधिकारी होते है ! ये कोइ पाप नशनि गंगा थोड़े हैजो  डुबकी  लगा पाप धूल जाये ! सिंहस्थ स्नान अमृत स्नान उसके पात्र लोगो के काम का है ! जमाने भर के व्यभिचारी माँसाहारी ढोंगी जिन्हे न पवित्रता ज्ञान न स्वछता का ध्यान स्त्री पुरुष किन्नर स्नान करें तो उन्हें कोई अमृत स्नान का पूण्य थोड़े मिलता  क्योकि  ये  इसके  पात्र नहीं ! लेकिन ये सब असहनीय होने से  रुष्ट देवताओ ने रामघाट को भ्रष्ट कर निषेध कर दिया ड्रेनेज का पानी मिल जाने के बाद अब ये स्थान हमेशा अमृत स्नान के लिए निषेध है ! शास्त्रों मे पड़ा है रक्त की एक बून्द टपका कर हजारो वर्षो से किये जा रहे यज्ञ अनुष्ठान भ्रष्ट हो जाते ! तभी राम ने  असुरो  का संहार किया था   ! तो ये तो सारी शिप्रा भ्रष्ट   हो गयी ! अब इसमें धार्मिक मान्यताओं के अनुरुप तो स्नान वर्जित है ! इसलिये उज्जैन का सिंहस्थ समाप्त हो जाना चाहिए !  क्योकि ऐसे भी  यहाँ  अब कटाचुर साधू है कहाः जो वर्षो हिमालय की कंदराओं में रहते तपस्या करते अब तो वेशिक युग की दुकाने है संतो का कारोबार वैभव अहंकार पहले के संत अपनी आध्यात्मिक शक्ति अपनी तपस्या के तेज से दर्शन करने मात्र से कल्याण हो जाता था ! क्योकि कल्याण के लिए आम आदमी तो तपस्या नहीं कर सकता तो उसका कल्याण कैसे हो तो सिंहस्थ का विधान बनाया  संत महात्मा लोक कल्याण की भावना से सिंहस्थ में आते थे !  अब सरकार पर अहसान करने  आते है !  और आम जनता को दर्शन क्या दे मुख्य मंत्री  से रोज   रोज के जलसे करोड़पति भक्तो और उनके  व् स्वयं के लिए बने एअर कंडीशन आलिशान रिसोर्ट और उनका प्रोटोकॉल आम आदमी  तो  दर्शन पा ही  नहीं  सकता ! और वे जानते है की आम आदमी उनका वैभव देख नत मस्तक हो जाएगा जिसका प्रदर्शन किया जा रहा है ! लेकिन ये महांकाल को पसंद नहीं आ रहा है अल्टीमेटम दे दिया सुधर जाओ वरना हाँ फिर ..........! जय महाकाल !

साडे पांच हजार करोड़ रु धर्म विशेष के आडम्बर में उड़ाना क्या अन्य धर्मवालंबियो के प्रति असहिष्णुता है !

कड़वा सच !                                                                                                                                                  उज्जैन  सिंहस्थ  में  साडे   पांच  हजार करोड़ रु धर्म विशेष के आडम्बर में उड़ाना क्या धर्म निर्पेश देश के अन्य धर्मावलंबियो के साथ अन्याय नही है ! इसे कहते है अन्य धर्मवालंबियो के प्रति असहिष्णुता सरकारी तंत्र  भ्रषटाचार     और मुख्य्मंत्री  शिवराज  और  प्रधान मंत्री  मोदी अपनी लोकप्रिया का सिंहस्थ मना चुके  ! साधू संत अपने वैभव का जलवा दिखा चुके ! देश के गरीब लोग धार्मिक आडंबरों के नाम पर ठगे जा   चुके ! देश के गरीब लोग रोते पीटते चीखते चिल्ला रहे  कोई  तो बताये अच्छे दिन कब और किसके  कहाँ  आ चुके ! 

Sunday 1 May 2016

! ! कड़वा सच !! भाजपा और मायावती के बीच फिर रोमांस की तैय्यारी !

! ! कड़वा सच  !!   भाजपा   और  मायावती  के बीच  फिर  रोमांस  की  तैय्यारी !                                                                                                                                                                                                 विचारणीय प्रश्न हैं कि मायावती  उत्तर प्रदेश में भाजपा से मिलकर सरकार बना चुकी हैं, तब भी मुसलमान बसपा से जुड़े रहे और आज भी जुड़े दिखाई देते हैं। तुलनात्मक रूप से देखें तो बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती भी राज्य में मुस्लिम तुष्टिकरण, जातीय राजनीति से अलग हटकर कभी नहीं चली हैं, वह भी दलित-मुस्लिम गठजोड़ को सत्ता का एक मजबूत कारक मानती हैं, लेकिन मुलायम सिंह यादव की तरह से मायावती मुस्लिम राजनीति के दबाव में कभी नहीं देखी गईं। उन्होंने मुसलमानों का कोई भी दबाव कतई मंजूर नहीं किया, उनके राजनीतिक फैसलों पर नज़र डालें तो उत्तर प्रदेश में कोई भी मुसलमान नेता ऐसा नहीं है, जिसने मायावती के सामने अकड़कर चलने की हिम्मत दिखाई हो। हालांकि इसका कारण दलित वोट बैंक है, जिसक‌े दम पर मायावती ने जिसको चाहा राजनीति में ऊपर उठाया है और जिसे चाहा जमीन पर पटक दिया है, जबकि जामा मस्जिद दिल्ली के इमाम अहमद बुखारी जब चाहा सर-ए-आम सपा नेतृत्व को मुसलमानों की धौंस देकर हड़काते-दौड़ाते हैं, सपा सरकार से पूरा लाभ भी उठाते हैं, इसी तरह जब चाहा सपा सरकार के मंत्री आज़म खां गुर्राते-धमकाते हैं और मुलायम खानदान इनके सामने घुटने टेकता गिड़गिड़ाता और इन्हें मनमर्जी के 'पैकेज' देता नज़र आता है। मायावती सरकार में एकाध छिटपुट तनाव को छोड़कर कोई सांप्रदायिक दंगा भी नहीं हुआ, तब क्या कारण है कि सपा की सरकार आते ही राज्य में सांप्रदायिक दंगों, अपराधों और जातिवाद की बाढ़ सी आ जाती है? क्या कारण हैं कि सपा सरकार आने पर गुंडे, माफिया और सांप्रदायिक तत्व उत्पात मचाने और मनमर्जी करने लगते हैं? इनमें सपा के कुछ मुस्लिम नेताओं की हेकड़ी और संलिप्तता भी किसी से छिपी नहीं है। अखिलेश सरकार इनकी चुनौतियों का सामना करने के बजाय बचाव के रास्ते पर चलती आ रही है। मोदी और शाह  चाहते हे की  केंद्रीय राजनीती के लिये  उत्तर प्रदेश  में भाजपाई  मुख्य्मंत्री से जरूरी  मुलायमसिंह को सत्ता से खदेड़ना  है  और इसके लिए एकबार फिर  मायावती से रोमांस  की   तैय्यारी  है !

   

Sunday 13 March 2016

कड़वा सच्च !
भाजपा के अनुवांशिक संगठनो ने भारतीय लोकतंत्र और समाज को तार तार कर बिखेर दिया विधार्थी परिषद ने अपनी पराजय का बदला लेने के लिये षड्यंत्र कर ! जे एन यू ! को बर्बादी की कगार पर ला दिया ! अपनी अति महत्वकांक्षाओं की पूर्ति के लिये समाज को विखंडित कर एक गिरोह को सक्रिय कर दिया जो सारी व्यवस्थाओ को अपने हाथ में लेना चाहता है ! गैर राजनैतिक संगठनो में भी दखलं दाजी कर उनकी निर्वाचन प्रक्रिया में मेंडेड जारी कर आर एस एस ने राजनीती का अखाड़ा बनाना अपना पेशा बना लिया ! भाजपा और हिंदुत्व आर एस एस की विचारधारा से सहमत समर्थको की इस देश में कमी नही उन्ही की बदौलत आज प्रचंड बहुमत पाया है ! लेकिन इस सफलता से उत्साहित हो भेदभाव कर आमजन में इनके सौतेले व्यवहार से असंतोष की स्तिथि निर्मित हो रही है ! जो राष्ट्रीयता के लिये घातक है क्योकि राष्ट्रवादी सिर्फ ये या इनसे प्राप्त प्रमाण पत्र वाले ही है ! बाकी देश की जनता जो इनकी शाखा में नही जाते गद्दार है ! और इस बात के लिये आवाज उठाने वाला हर नौजवान इनकी निगाह में कन्हैया है !

Friday 4 March 2016

 केजरीवाल   के   बाद   कन्हैया   मीडिया   की   दूसरी   नाजायज    ओलाद  है  !

Saturday 20 February 2016

राष्टवाद का गुलाल जनता की आखँ में उड़ेल दिया !

 देश में रोजगार नहीं ,मंहगाई सातवे आसमान पर,देश के पूंजीपती,उद्योगपति और देश के ही इन्वेस्टर देश में ही पैसा नहीं लगा रहे ?कुल जीडीपी का १०गुना से ज्यादा कालाधन भ्रष्टाचारियो के यहाँ जमा ?ऊपर से देश में अराजकता का माहोल ?न सिर्फ साम्प्रदायिकता वरन जातियों का जहर भी देश की हवाओ में घोला जा रहा है ?    सालो   से चली  आ रही  भ्रष्ट  साशन   व्यवस्था  ! अनुपयोगी  ढेर   सारे  विभाग जो आम आदमी के शोषण तक सीमित है !, संवैधानिक ,वैधानिक  अधिकार  भीड़ तंत्र  में   खो गये और ,न्यायिक  व्यवस्था   में कोई परिवर्तन नही ?  कालाधन के और व्यवस्था परिवर्तन  के  नाम पर सरकार बनाने   वालो ने  इन   बातो का  नाम छोड़ दिया ! और सर्जिकल  स्ट्राइक  ,राष्ट्रवाद और  कश्मीर के नाम   का   शगूफा छोड़  दिया ,  एक और बीफ के नाम  फैलाई जा रही साम्प्रदायिकता    तथा  दूसरी और देश में  राष्टवाद   का   गुलाल   देश की   जनता की आखँ   में   उड़ेल   दिया  ! उस  पर   ये  सिलसिला देश का प्रधान मंत्री स्मार्ट सिटी ,डिजिटल इंडिया,और विदेशो के निवेश पर आधारित मेक इन इंडिया की बात बड़े घमंड से पूरी दुनिया में  करते  फिर रहे !
रुपया  गिर  रहा  ,  पेट्रोल  डीजल  और  मंहगाई   समाले नही संभल रही , जनता  देश भक्ति के नाम के गुलाल  से  सनी   आँखे   मल  रही           !  

लानत हे ऐसी खोखली देश भक्ति पर ! जो देश और समाज तोड दे !

 कड़वा   सच   !
आपकी देशभक्ति से इतनी घृणा हो गई है कि देशद्रोही का आरोप मुझे सुकून देता है। आपकी धर्मांधता और शून्यता से पैदा हुई खीझ से देशभक्ति शब्द की सकारात्मकता मेरी नज़र में ख़त्म हो चुकी है। देशभक्ति की आपकी परिभाषा इतनी खोखली लग रही है कि मुझे देशद्रोह लुभाने लगा है। । देशभक्तो, अपनी करनी पर थोड़ा गौर करिए। आपको लग रहा है कि आप ही इस देश के रक्षक और योद्धा हैं, लेकिन हमारी नज़रों से भी खुद को एक बार घूरिए और कुछ हो ना हो इससे, लेकिन इतना ज़रूर होगा कि देशभक्त होने की आपकी गलतफहमी कुछ बिलांग कम होगी। देश को धर्म और दलित-सवर्ण के पाटों में बांटकर जहर उगलना नई देशभक्ति है। गरीबों, वंचितों और हाशिये पर जी रहे लोगों की बात करनेवालों को पत्थर मारना नई देशभक्ति है। सरकार की नीतियों और योजनाओं से असंतुष्टि जताने वालों को धमकाना नई देशभक्ति है। संविधान और संवैधानिक मूल्यों की बात करने वालों की जूतमपैजार करना नई देशभक्ति है। लोकतांत्रिक पद्धत्ति से सरकार बनाने वालों को, सरकार चलाने नही देना नई देश भक्ति है । मुद्दों पर आधारित विरोध प्रकट करने में किसी राजनैतिक पार्टी या धर्म का ध्यान ना रख, बिना पक्षपात किए सवाल करने वालों को पाकिस्तान का दलाल कहना नई देशभक्ति है। सार्वजानिक और राजनैतिक जीवन से धर्म को दूर रखने की अपील करने वालों को देशद्रोही का तमगा देना, नई देशभक्ति है। वैचारिक मतभेद का जवाब शारीरिक और शाब्दिक हिंसा से देना नई देशभक्ति है। आपकी तरह हमने कभी धर्म और जाति देखकर वोट नहीं दिया। आपकी तरह हमारी विचारधारा स्वार्थजनित पक्षपात से नहीं बनती-बदलती। धर्म तो मेरा भी हिंदू है,मैं अपवाद नहीं। कई ऐसे लोग हैं जो कट्टर हिंदू और ब्राह्मणवादी परिवार से होकर भी इस व्यवस्था का विरोध करते हैं। पता है क्यों, क्योंकि इस व्यवस्था का हिस्सा होने के कारण हम इसकी बुराइयों और अन्याय को अच्छी तरह समझते हैं। आपकी तरह अंधे राष्ट्रवादी हम नहीं हैं, लेकिन हमें इस मिट्टी और यहां के लोगों से इतना प्यार है कि आप सोच भी नहीं सकते। इसकी विविधता और इसकी लोकतांत्रिक परंपरा के हम दीवाने हैं। हमें किसानों, मजदूरों, शोषितों की और यहां के हर इंसान की परवाह होती है। जाति, धर्म, वर्ग, संप्रदाय, आस्तिक-नास्तिक इन सब भिन्नताओं से परे हमें इंसानों की तकलीफ रुलाती है। आपका दर्द फर्जी है। वह संवेदना ही क्या जो पक्षपात करके जागे। वह तर्क ही क्या जो अपनों का घेरा बनाकर जागे। देश को खतरा हमसे नहीं, आपसे है। इस्लामिक स्टेट और ISI के खतरे के बीच आप देश को धर्म और समुदाय के आधार पर बांटकर खुश हो रहे हैं। लोगों को भरोसे में लेने की जगह डरा रहे हैं। युवाओं के वैचारिक विरोध को गालियां देकर हमले कर रहे हैं और उनको डरा रहे हैं। नक्सलियों से अब तक नहीं जीत सके और नए लड़ाके घर में ही पैदा कर रहे हैं। तुम्हारी पूंजीवादी साम्यवादी संघवादी नीतियों पर विमर्श करने वाले छात्रों को देशद्रोही कहकर हाशिये पर धकेल रहे हैं। किसानों के लिए सब्सिडी चाहते हैं। आर्थिक स्थिति के हिसाब से आयकर का बंटवारा चाहते हैं। असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए काम के सीमित घंटे और बीमा-मेडिकल जैसी सुविधाएं चाहते हैं। महिलाओं के लिए बराबरी चाहते हैं। बुनियादी सुविधाओं की तरक्की चाहते हैं। पुलिस विभाग में सुधार चाहते हैं। ये सबकुछ आपके जैसे देशभक्त कभी नहीं चाहते। आप सिर्फ देश में भगवा झंडा लहराना चाहते हैं और हर प्रकार की विभिन्नता, हर प्रकार के विरोध को कुचल कर सारी व्यवस्था को अपने और  अपने कार्पोरेटर  मित्रो के आधीन चाहते हैं। ना आपकी भाषा संयत है और ना आपके इरादे सही हैं। भारत का नाम लेकर आप चीखते हैं, लेकिन भारत की आत्मा को ही नहीं समझते। इस बहु संस्कृति वाले देश का लोकतंत्र आपको नही सुहाता आप साम्प्रदायिकता के आधार पर देश बनाना चाहते !   आपका विरोध सबको देशद्रोही और पाकिस्तान का दलाल कहता है। आपकी पार्टी और आपकी विचारधारा सही, बाकी सब गलत । ऐसा इस देश में नही चल सकता है आज से पहले भी तुमसे बड़े बड़े आतताई आये और गये ! जाना सबको है लेकिन जाते जाते एक सकारात्मक सोच तो झोड़ जाओ इस देश को एक सूत्र में जोड़ जाओ ! वरना बिखरे हुए समाज और टूटे हुए देश की आने वाली पीढियां तुम्हे कभी माफ़ नही करेगी !

Dhiraj Dubey




Friday 19 February 2016

आतंकवाद से खतरनाक है वर्ग संघर्ष !

कड़वा सच !
दिल्ली के मंडी हाउस से जंतर मंतर तक निकले मार्च में कन्हैया के समर्थन के नारो के साथ जय भीम के नारे भी सुनाई दिये ! आरक्षण के मुद्दे पर सस्ती लोकप्रियता के लिए की जा रही बयान बाजी से सामाजिक वातावरण में अस्थिरता पैदा होने लगी है !  आतंकवाद से खतरनाक  है  वर्ग  संघर्ष  !  सामाजिक  समरसता   निर्मित   करने   में  इतने  बरस  लगे  लेकिन   हम   आगे   बढ़ने   के  बजाय  आरक्षण   विवाद  छेड़कर   घूम   फिर  के   वहीं   के  वहीं  आ गये  !  इसके दूरगामी परिणाम राष्ट्रवादियो को ही भुगतना पड़ेंगे ! क्योकि समाज में असहिष्णुता का वातावरण तेजी से पनप रहा है ! इस राष्ट्र को किसी एक विचार धारा के अधीन नही रखा जा सकता जनता मोदी के नारो मोदी के वादो के साथ है ! और   आगे   रह  भी  सकती है ! लेकिन इसका मतलब आप ये ने समझे ! की आवाम आपके भगवा कारण के साथ है ! और यही असली संधर्ष की वजह है ! कन्हैया को मिल रहा समर्थन राष्ट्रीयता का प्रमाण पत्र देने वालो के प्रति आक्रोश है !