// कड़वा सच ?/// शिवराज मामा इनका भी सोचो ? //
पुनः पेशन प्रदान करने की घोषणा शासकीय कर्मचारियों के लिये हमदर्दी की अच्छी बात है लेकिन में मामाजी का ध्यान नोजवान भारत की आने वाली पीढ़ी जो ज्यातर सेल्फ़ एम्प्लाई या प्रायवेट जॉब करते रिटायर्ड या डिसएबल होने पर उन्हें कोई सहायता नही मिलती और आजकल इतनी महंगाई है की तनख्वाह तो पहले ही कम पड़ती है भविष्य का प्लानिग कैसे हो ? पेंशन के आकर्षण के कारण ही सरकारी नोकरियो की इतनी मारा मारी है जो मिलती ही नही आरक्षण के मन मुटाव में भी मूल कारण यही है अत: क्यों न ?
प्रदेश स्तर पर एक निश्चित उम्र के बाद सरकार प्रत्येक व्यक्ति के भरण पोषण की जिम्मेदारी ले उसके पोषण के लिये जितना व्यय लगता उसे दिया जाए फिर चाहे वो अपने जीवन में कलेक्टर हो मिनिस्टर हो ड्राइवर या चपरासी ? भरण पोषण तो सब को सामान ही लगेगा क्योकि जब व्यक्ति की प्रतिभा और क्षमता का दोहन किया गया तब उसे उसका पूरा पारिश्रमिक दिया गया है / अब ये पेंशन जो है आश्रय निधि है और हर आश्रित को बराबर मिलना चाहिये ? यही सामाजिक न्याय है
पुनः पेशन प्रदान करने की घोषणा शासकीय कर्मचारियों के लिये हमदर्दी की अच्छी बात है लेकिन में मामाजी का ध्यान नोजवान भारत की आने वाली पीढ़ी जो ज्यातर सेल्फ़ एम्प्लाई या प्रायवेट जॉब करते रिटायर्ड या डिसएबल होने पर उन्हें कोई सहायता नही मिलती और आजकल इतनी महंगाई है की तनख्वाह तो पहले ही कम पड़ती है भविष्य का प्लानिग कैसे हो ? पेंशन के आकर्षण के कारण ही सरकारी नोकरियो की इतनी मारा मारी है जो मिलती ही नही आरक्षण के मन मुटाव में भी मूल कारण यही है अत: क्यों न ?
प्रदेश स्तर पर एक निश्चित उम्र के बाद सरकार प्रत्येक व्यक्ति के भरण पोषण की जिम्मेदारी ले उसके पोषण के लिये जितना व्यय लगता उसे दिया जाए फिर चाहे वो अपने जीवन में कलेक्टर हो मिनिस्टर हो ड्राइवर या चपरासी ? भरण पोषण तो सब को सामान ही लगेगा क्योकि जब व्यक्ति की प्रतिभा और क्षमता का दोहन किया गया तब उसे उसका पूरा पारिश्रमिक दिया गया है / अब ये पेंशन जो है आश्रय निधि है और हर आश्रित को बराबर मिलना चाहिये ? यही सामाजिक न्याय है
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