Wednesday 19 October 2016

समय की पुकार है नई क्रान्ति का शंखनाद है ?

  // कड़वा सच // ? आज देश में हर सेक्टर में घटती नोकरियों की समस्या विकराल होती जा रही है ? कम्पनी में फ्यूचर की कोई उम्मीद नही है ? कोई इंक्रीमेंट नही कास्ट कटिंग और भारी कॉम्पटीशन के चलते घटते प्रॉफिट आफ मार्जिन के कारण सम्भव नही की कम्पनियां बेहतर सैलेरी दे पाए। और अगर अनियोजित क्षेत्र को लो तो बहुत हालात खराब है। छोटी छोटी कम्पनियों में, दुकानों, पर काम करने वाले माल के कर्मचारियों ,निजी स्कूलों के टीचर,,कमर्सियल सेक्टर में ,हालात बहुत खराब 5 हजार से 10 हजार तक मिलते हैं।आखिर कैसे जिए इंसान कैसे परिवार चालाए फ्यूचर प्लानिग क्या ख़ाक किया जाया ? रेहड़ी वाले,खोमचे ठेले वाले,सब्जी वाले,रिक्सा पुलर,ड्रायवर मिस्त्री कारीगर मजदुर तो बढ़ती मंहगाई से खुद भी मंहगे हो जाते  और  सरकारी खेरात  के इनके लिए  द्वार खुल जाते ? लेकिन अनियोजित क्षेत्र // प्रायवेट नोकरी// वाले कितनी जद्दो जहद कर रहे जीने के लिए ? जब हम देखते हैं सरकारी कर्मचारियों  लगातार  उत्तरोत्तर बढ़ोतरी  के साथ पेंशन का लाभ मिल रहा है आखिर ये  विसंगति क्यों ?  सरकार को चाहिए की देश के प्रत्येक नागरिक को ६० साल की उम्र के बाद उसे सरकार पर आश्रित मान जैसे साशकीय कर्मचारियो अफसर,पुलिस कलेक्टर से लेकर चपरासी,नेता,मंत्री हर आश्रित व्यक्ति को जितना व्यक्ति को जीवन यापन हेतु लगता है उतनी एक सामान सब को पेंशन दे ? क्योकि जब व्यक्ति सेवा में था उसकी जितनी योग्यता का दोहन सरकार ने किया उतना भुगतान सेवाकाल में उसने प्राप्त कर लिया? अब आश्रय निधि तो हर आश्रित को सामान मिलना चाहिए यही सामाजिक न्याय है ? समय की पुकार है  नई  क्रान्ति  का शंखनाद है ?जिसमे दलित मुस्लिम सवर्ण हिन्दू सब साथ है ? बहुत सह लिया अब नही होने देगे आने वाली पीढ़ी के साथ ये अत्याचार है ? ?

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