एशिया कि सबसे बड़ी और - महगी जल प्रबंधन व्यवस्था इंदौर की है , लेकिन इंदौर की नदियों को मैला डोने का साधन बना कर गंदे नाले में तब्दील कर दिया गया तो किनारो पर बसाहट हो गई , वही नर्मदा के कुप्रबंधन के कारण लोग उस पर निर्भर नहीं रह सकते , इसलिये लोगो ने ट्यूब वेल से इन्दौर कि जमीन को छलनी कर दिया है, परिणाम में 181% भुजल दोहन करके 2022 तक ज़िरो ग्राउंड पर पहुँच जायेगा। 91% सै अघिक ट्यूब का पानी पीने योग्य नहीं रहा है। फिर भी आघारित शहर इसे पीने को मजबूर है। अत्याधिक बारिश के बाद भी नर्मदा का सप्लाय असंतोष पूर्ण है , डेली सप्लाय नहीं होने से घर घर बोरिंग अनिवार्य हो गए ,!
ऐसे हालत में मुमकिन है , कही इंदौर अपनी आभा नहीं खो दे पानी के कारण " जागो और जगाओ !!"
ऐसे हालत में मुमकिन है , कही इंदौर अपनी आभा नहीं खो दे पानी के कारण " जागो और जगाओ !!"