Sunday 11 December 2016

अहंकार के वशीभूत हो वो देवत्व तो क्या अपनी इंसानियत भी खो देता है ?

 व्यक्ति    स्नेह  त्याग समर्पण  और   सद्भावना  के  अतिरेक में    अपना  प्रभाव   तक  का परित्याग  कर थोड़ी   देर  के  लिये  देवता  तुल्य    हो  जाता   है  ?  और   नई   पीढ़ी   को   जिम्मेदारी   देकर    आगे   आने  का   रास्ता  देने  के   बाद  उनकी  प्रतिभा  और  सफलता से  उद्धेलित   और  असुरषा की  भावना   से  मन   ग्रसित  करने   लगता  है ? ऐसी   विचलित   स्थिति में  अपने  अहंकार  के   वशीभूत हो  वो  रास्ते  में  काँटे  बिछाकर    अपने  देवत्व   तो  क्या   वो   अपनी   इंसानियत  भी  खो  देता  है  ?  जैसा  मिस्त्री  के साथ  टाटा  ने  और  अखिलेश  के साथ मुलायमसिह ने   किया /  ओरो  ने  भी  देश  काल  परिस्तिथियो   के  अनुसार  तुम्हारे हमारे  साथ  भी  किया  ??????????          

No comments:

Post a Comment