Saturday 20 February 2016

लानत हे ऐसी खोखली देश भक्ति पर ! जो देश और समाज तोड दे !

 कड़वा   सच   !
आपकी देशभक्ति से इतनी घृणा हो गई है कि देशद्रोही का आरोप मुझे सुकून देता है। आपकी धर्मांधता और शून्यता से पैदा हुई खीझ से देशभक्ति शब्द की सकारात्मकता मेरी नज़र में ख़त्म हो चुकी है। देशभक्ति की आपकी परिभाषा इतनी खोखली लग रही है कि मुझे देशद्रोह लुभाने लगा है। । देशभक्तो, अपनी करनी पर थोड़ा गौर करिए। आपको लग रहा है कि आप ही इस देश के रक्षक और योद्धा हैं, लेकिन हमारी नज़रों से भी खुद को एक बार घूरिए और कुछ हो ना हो इससे, लेकिन इतना ज़रूर होगा कि देशभक्त होने की आपकी गलतफहमी कुछ बिलांग कम होगी। देश को धर्म और दलित-सवर्ण के पाटों में बांटकर जहर उगलना नई देशभक्ति है। गरीबों, वंचितों और हाशिये पर जी रहे लोगों की बात करनेवालों को पत्थर मारना नई देशभक्ति है। सरकार की नीतियों और योजनाओं से असंतुष्टि जताने वालों को धमकाना नई देशभक्ति है। संविधान और संवैधानिक मूल्यों की बात करने वालों की जूतमपैजार करना नई देशभक्ति है। लोकतांत्रिक पद्धत्ति से सरकार बनाने वालों को, सरकार चलाने नही देना नई देश भक्ति है । मुद्दों पर आधारित विरोध प्रकट करने में किसी राजनैतिक पार्टी या धर्म का ध्यान ना रख, बिना पक्षपात किए सवाल करने वालों को पाकिस्तान का दलाल कहना नई देशभक्ति है। सार्वजानिक और राजनैतिक जीवन से धर्म को दूर रखने की अपील करने वालों को देशद्रोही का तमगा देना, नई देशभक्ति है। वैचारिक मतभेद का जवाब शारीरिक और शाब्दिक हिंसा से देना नई देशभक्ति है। आपकी तरह हमने कभी धर्म और जाति देखकर वोट नहीं दिया। आपकी तरह हमारी विचारधारा स्वार्थजनित पक्षपात से नहीं बनती-बदलती। धर्म तो मेरा भी हिंदू है,मैं अपवाद नहीं। कई ऐसे लोग हैं जो कट्टर हिंदू और ब्राह्मणवादी परिवार से होकर भी इस व्यवस्था का विरोध करते हैं। पता है क्यों, क्योंकि इस व्यवस्था का हिस्सा होने के कारण हम इसकी बुराइयों और अन्याय को अच्छी तरह समझते हैं। आपकी तरह अंधे राष्ट्रवादी हम नहीं हैं, लेकिन हमें इस मिट्टी और यहां के लोगों से इतना प्यार है कि आप सोच भी नहीं सकते। इसकी विविधता और इसकी लोकतांत्रिक परंपरा के हम दीवाने हैं। हमें किसानों, मजदूरों, शोषितों की और यहां के हर इंसान की परवाह होती है। जाति, धर्म, वर्ग, संप्रदाय, आस्तिक-नास्तिक इन सब भिन्नताओं से परे हमें इंसानों की तकलीफ रुलाती है। आपका दर्द फर्जी है। वह संवेदना ही क्या जो पक्षपात करके जागे। वह तर्क ही क्या जो अपनों का घेरा बनाकर जागे। देश को खतरा हमसे नहीं, आपसे है। इस्लामिक स्टेट और ISI के खतरे के बीच आप देश को धर्म और समुदाय के आधार पर बांटकर खुश हो रहे हैं। लोगों को भरोसे में लेने की जगह डरा रहे हैं। युवाओं के वैचारिक विरोध को गालियां देकर हमले कर रहे हैं और उनको डरा रहे हैं। नक्सलियों से अब तक नहीं जीत सके और नए लड़ाके घर में ही पैदा कर रहे हैं। तुम्हारी पूंजीवादी साम्यवादी संघवादी नीतियों पर विमर्श करने वाले छात्रों को देशद्रोही कहकर हाशिये पर धकेल रहे हैं। किसानों के लिए सब्सिडी चाहते हैं। आर्थिक स्थिति के हिसाब से आयकर का बंटवारा चाहते हैं। असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए काम के सीमित घंटे और बीमा-मेडिकल जैसी सुविधाएं चाहते हैं। महिलाओं के लिए बराबरी चाहते हैं। बुनियादी सुविधाओं की तरक्की चाहते हैं। पुलिस विभाग में सुधार चाहते हैं। ये सबकुछ आपके जैसे देशभक्त कभी नहीं चाहते। आप सिर्फ देश में भगवा झंडा लहराना चाहते हैं और हर प्रकार की विभिन्नता, हर प्रकार के विरोध को कुचल कर सारी व्यवस्था को अपने और  अपने कार्पोरेटर  मित्रो के आधीन चाहते हैं। ना आपकी भाषा संयत है और ना आपके इरादे सही हैं। भारत का नाम लेकर आप चीखते हैं, लेकिन भारत की आत्मा को ही नहीं समझते। इस बहु संस्कृति वाले देश का लोकतंत्र आपको नही सुहाता आप साम्प्रदायिकता के आधार पर देश बनाना चाहते !   आपका विरोध सबको देशद्रोही और पाकिस्तान का दलाल कहता है। आपकी पार्टी और आपकी विचारधारा सही, बाकी सब गलत । ऐसा इस देश में नही चल सकता है आज से पहले भी तुमसे बड़े बड़े आतताई आये और गये ! जाना सबको है लेकिन जाते जाते एक सकारात्मक सोच तो झोड़ जाओ इस देश को एक सूत्र में जोड़ जाओ ! वरना बिखरे हुए समाज और टूटे हुए देश की आने वाली पीढियां तुम्हे कभी माफ़ नही करेगी !

Dhiraj Dubey




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