रीढ़ गर्व खोती जाती है, निर्णय सारे मंद हो रहे , काम धंधे व्यापार
व्यवसाय आय के स्त्रोत सब बन्द हो रहे । जीवन चर्या मुश्किल में आम आदमी के
हाथ तँग हो रहे , किसान आत्महत्या कर अमर हो रहे, पीड़ित मुआवजे की बाट
जो रहे । युवा बेरोजगारी को रो रहे ,अडानी अम्बानी जैसे मित्रो का भला
करने में लूटी पीटी अर्थ व्यवस्था , और इसके जिम्मेदार
कांग्रेस के नाम को रो रहे , इन सब का खामियाजा मध्यमवर्गीय ढ़ो रहे ,और
साशक उन्हें बहलाने फुसलाने के लिये कभी पाकिस्तान , तो कभी धार ३७०,
यहाँ तक की राम मंदिर पर भी हिन्दू मुस्लिम दोनों इनको तवज्जो नहीं दे
रहे , तो ये संविधान से बालात्कार कर NRC और CAA लाकर हिन्दू मुसलमान को फिर
साम्प्रदायिकता के रंग में भिगो रहे !,,और पूंजीवादी अर्थ व्यवस्था के
जरिये चंद मुठी भर लोग इस देश को अपनी मुठी में करने का स्वपन संजो रहे
,घुट घुट कर जीने वालो , बोलो अब भी प्रतिकार करोगे,या अपनी
नागरिकता साबित करने को दर दर ठोकरे खा कर लाइन में मरोगे !
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