स्वर्गीय नारायण प्रसाद शुक्ला मेरी नजर से ?
श्रदेय नारायण प्रसाद शुक्ला का जन्म जूनि इंदौर के विद्वान कर्मकांडी प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार में कांतिलालजी शुक्ल के यहां सन -------में हुआ था / सात भाई बहनो में आप दूसरे नंबर पर सबसे बड़े थे और अपने बड़े होने की जवाबदारी को परिवार के प्रति आपने बखूबी निभाया / शैशव से यौवन तक आप अपनी अद्वितीय प्रतिभा से समय समय पर परिवार और समाज को प्रभावित करते रहे आप एक चिंतक विचारक और लेखक के साथ ही श्रेष्ठ ओजस्वी वक्ता थे / अपने विधार्थी जीवन में आप तात्कालीन समय में प्रदेश के सबसे विशाल होल्कर महाविधालय में सेलिब्रेशन सेक्रेटरी चुने गये तथा सन १९५२ में आपने छात्रों के विशाल आंदोलन जिसमे आजाद भारत के इतिहास में पहलीबार इंदौर में पुलिस द्वारा गोली चलाई गयी थी का नेतृत्व किया जिसकी वजह से आपको काफी समय पुलिस से बचने हेतु भूमिगत होना पड़ा था / यही से आपका सक्रीय राजनीती में प्रवेश हुआ पार्षद फिर इंदौर के महापौर चुने गये / आपकी अद्वितीय प्रतिभा ने तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्व पंडित द्वारकाप्रसाद मिश्रा को काफी प्रभावित किया जो कालांतर में आपके राजनैतिक गुरु रहे जिनका मरते दम तक आप को पुत्रवत स्नेह प्राप्त हुआ /मालवा के ब्राह्मणो के आदर्श चरित्र परम भगवती उपासक भैय्या की राजनीतिक सूझ बुझ का लोहा तत्कालीन राजनीती के बड़े बड़े दिग्गज भी मानते थे ! आपको राजनीती में ब्राह्मणवाद के प्रणेता के रूप में देखा जाता है ! गृहस्थ संत राजनीतिक सूझबूझ और संभावनाओं के भविष्य द्रष्टा भैय्या राजनैतिक चरित्र की आदर्श मिसाल थे उनकी राजनैतिक सूझबूझ उनके अनुयायियो के लिए सीढ़ी की तरह थी जिस की बदौलत कइयों ने राजनैतिक उपलब्धियां हांसिल की ।
श्रदेय भैय्या अपने राजनैतिक सफर में इंदौर के मेयर फिर मध्य्प्रदेश कांग्रेस के महासचिव एवं विधानसभा में उपाध्यक्ष तथा प्रदेश के सूचनाप्रसारण तथा गृह राजयमंत्री पद पर सुशोभित रहे / सराहनीय राजनैतिक उपलब्धियां प्राप्त करने वाले भैय्या काजल की कोठरी में भी बेदाग़ रहे और उनका स्वभाव व् आत्मीय व्यवहार कभी नहीं बदला अहंकार रहित अति संतोषी भैय्या को जीवन में कभी भी पद प्रतिष्ठा मान सम्मान किसी व्यक्ति या वस्तु के लिये आतुर होते नहीं देखा / भैय्या का जीवन एक खुली किताब की तरह है जिससे हमे ईमानदारी धैर्य संयम सब्र और आपार संतोष से सुखी और आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है /
आसमान की तरह निश्छल समुद्र के समान विशाल ह्रदय वाले तथा पृथ्वी के सामान धैर्यवान भैय्या के जीवन चरित्र को रेखांकित कर सकूँ इतना सामर्थ मुझ में और मेरी कलम में नहीं है ?
संत ह्रदय भैय्या को शत शत नमन //
/ आपसे पुत्रवत स्नेह प्राप्त कर कृतार्थ /
// धीरज- दुबे एड. //
श्रदेय नारायण प्रसाद शुक्ला का जन्म जूनि इंदौर के विद्वान कर्मकांडी प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार में कांतिलालजी शुक्ल के यहां सन -------में हुआ था / सात भाई बहनो में आप दूसरे नंबर पर सबसे बड़े थे और अपने बड़े होने की जवाबदारी को परिवार के प्रति आपने बखूबी निभाया / शैशव से यौवन तक आप अपनी अद्वितीय प्रतिभा से समय समय पर परिवार और समाज को प्रभावित करते रहे आप एक चिंतक विचारक और लेखक के साथ ही श्रेष्ठ ओजस्वी वक्ता थे / अपने विधार्थी जीवन में आप तात्कालीन समय में प्रदेश के सबसे विशाल होल्कर महाविधालय में सेलिब्रेशन सेक्रेटरी चुने गये तथा सन १९५२ में आपने छात्रों के विशाल आंदोलन जिसमे आजाद भारत के इतिहास में पहलीबार इंदौर में पुलिस द्वारा गोली चलाई गयी थी का नेतृत्व किया जिसकी वजह से आपको काफी समय पुलिस से बचने हेतु भूमिगत होना पड़ा था / यही से आपका सक्रीय राजनीती में प्रवेश हुआ पार्षद फिर इंदौर के महापौर चुने गये / आपकी अद्वितीय प्रतिभा ने तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्व पंडित द्वारकाप्रसाद मिश्रा को काफी प्रभावित किया जो कालांतर में आपके राजनैतिक गुरु रहे जिनका मरते दम तक आप को पुत्रवत स्नेह प्राप्त हुआ /मालवा के ब्राह्मणो के आदर्श चरित्र परम भगवती उपासक भैय्या की राजनीतिक सूझ बुझ का लोहा तत्कालीन राजनीती के बड़े बड़े दिग्गज भी मानते थे ! आपको राजनीती में ब्राह्मणवाद के प्रणेता के रूप में देखा जाता है ! गृहस्थ संत राजनीतिक सूझबूझ और संभावनाओं के भविष्य द्रष्टा भैय्या राजनैतिक चरित्र की आदर्श मिसाल थे उनकी राजनैतिक सूझबूझ उनके अनुयायियो के लिए सीढ़ी की तरह थी जिस की बदौलत कइयों ने राजनैतिक उपलब्धियां हांसिल की ।
श्रदेय भैय्या अपने राजनैतिक सफर में इंदौर के मेयर फिर मध्य्प्रदेश कांग्रेस के महासचिव एवं विधानसभा में उपाध्यक्ष तथा प्रदेश के सूचनाप्रसारण तथा गृह राजयमंत्री पद पर सुशोभित रहे / सराहनीय राजनैतिक उपलब्धियां प्राप्त करने वाले भैय्या काजल की कोठरी में भी बेदाग़ रहे और उनका स्वभाव व् आत्मीय व्यवहार कभी नहीं बदला अहंकार रहित अति संतोषी भैय्या को जीवन में कभी भी पद प्रतिष्ठा मान सम्मान किसी व्यक्ति या वस्तु के लिये आतुर होते नहीं देखा / भैय्या का जीवन एक खुली किताब की तरह है जिससे हमे ईमानदारी धैर्य संयम सब्र और आपार संतोष से सुखी और आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है /
आसमान की तरह निश्छल समुद्र के समान विशाल ह्रदय वाले तथा पृथ्वी के सामान धैर्यवान भैय्या के जीवन चरित्र को रेखांकित कर सकूँ इतना सामर्थ मुझ में और मेरी कलम में नहीं है ?
संत ह्रदय भैय्या को शत शत नमन //
/ आपसे पुत्रवत स्नेह प्राप्त कर कृतार्थ /
// धीरज- दुबे एड. //
No comments:
Post a Comment