Sunday 29 October 2017

// मोदी तेरा कैसा राज , जहां रिजर्व बैंक ही गद्दार //

केंद्र सरकार के द्वारा 1.35 लाख करोड़ मूल्य के सरकारी बॉन्डों के रूप में बैंकों को अतिरिक्त पूंजी देने के फैसले का मतलब है कि करदाताओं के पैसों से बैंकों  के ४५/ ५०/ प्रतिशत तक पहुंच रहे एन,पी,ए  के कारण होने वाली   तालाबंदी से  बचाना , जबकि  रिजर्व बैंक ने विदेशी बैंक को पैर जमाने देने हेतु  / स्वकष्ट  अर्जित , बेहतर  स्तिथि में  संचालित मध्य् प्रदेश इंदौर की '' मित्र मंडल ,सहकारी बैंक '' को  आर ,बी ,आई के   अधिकारी  घोष  द्वारा   व्देषतावश  २९ प्रतिशत एन,पी,ए,पर ही लॉकआउट कर दिया ? और  अब बकायेदार  कॉरपोरेट समूहों  को  बचाना  और  उनको दिए कर्ज के बोझ से  डूबती  बैंको को जनता  की मेहनत की कमाई से उबारा जा रहा है.?
                 //  मोदी  तेरा कैसा राज , जहां  रिजर्व बैंक ही गद्दार //

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