11,500 करोड़ के पंजाब नेशनल बैंक जालसाजी , बिना भारी राजनैतिक दबाव संभव नहीं ?
विश्व हीरा व्यवसाय की राजधानी एंटवर्प बेल्जियम में जन्मे, पले-बढ़े नीरव मोदी जीवन के 19 बसंत पूरे करने के बाद हीरा कारोबार की बारीकियाँ सीखने के लिए अपने मामा गीतांजलि जेम्स, गिन्नी, और नक्षत्र जैसी ज्वैलरी कम्पनियों के मालिक मेहुल चोकसी के पास मुम्बई आये , मामा की सत्ता के गलियारों में पकड़ और नीरव की कुशाग्र बुद्धि ने देखते ही देखते विश्व स्तर पर लाखों करोड़ के अपने कारोबार का साम्राज्य खड़ा कर लिया। यह सब इतना आसान नहीं है , बल्कि इसकी डोर किसी अदृश्य राजनैतिक शक्ति ''डान '' के हाथ में जुड़ी होना अवश्यंभावी है, ?
जो हमेशा ऐसे कई प्यादों को अर्थ तंत्र की राजनीती में , मामा भांजे की तरह कितनो का कठपुतली की तरह इस्तेमाल करता है ? क्योकि इतनी जल्दी इतना विशाल कारोबार खड़ा करना बिना सत्ता की चमक और धमक के हो ही नही सकता। जैसे पचास हजार की कम्पनी का दो वर्षो में 80 हजार करोड़ का कारोबार ?
जिस घोटाले को पंजाब नेशनल बैंक द्वारा राजनैतिक दबाव में दबाने की भरपूर कोशिश की गई , लेकिन रिजर्व बैंक की जवाबदेही की कठोर नीतियों के चलते उजागर हो ही गया।
एक बार मे इतनी बड़े कर्ज की गारेंटी किसी भी बैंक अधिकारी में बिना भारी राजनैतिक संरक्षण के दिये जाने की हिम्मत हो ही नहीं सकती।
और संभवतः उसी दबाव में पीएनबी ने बड़े ही गुपचुप तरीके से इसे जारी कर दिया ?
विश्व हीरा व्यवसाय की राजधानी एंटवर्प बेल्जियम में जन्मे, पले-बढ़े नीरव मोदी जीवन के 19 बसंत पूरे करने के बाद हीरा कारोबार की बारीकियाँ सीखने के लिए अपने मामा गीतांजलि जेम्स, गिन्नी, और नक्षत्र जैसी ज्वैलरी कम्पनियों के मालिक मेहुल चोकसी के पास मुम्बई आये , मामा की सत्ता के गलियारों में पकड़ और नीरव की कुशाग्र बुद्धि ने देखते ही देखते विश्व स्तर पर लाखों करोड़ के अपने कारोबार का साम्राज्य खड़ा कर लिया। यह सब इतना आसान नहीं है , बल्कि इसकी डोर किसी अदृश्य राजनैतिक शक्ति ''डान '' के हाथ में जुड़ी होना अवश्यंभावी है, ?
जो हमेशा ऐसे कई प्यादों को अर्थ तंत्र की राजनीती में , मामा भांजे की तरह कितनो का कठपुतली की तरह इस्तेमाल करता है ? क्योकि इतनी जल्दी इतना विशाल कारोबार खड़ा करना बिना सत्ता की चमक और धमक के हो ही नही सकता। जैसे पचास हजार की कम्पनी का दो वर्षो में 80 हजार करोड़ का कारोबार ?
जिस घोटाले को पंजाब नेशनल बैंक द्वारा राजनैतिक दबाव में दबाने की भरपूर कोशिश की गई , लेकिन रिजर्व बैंक की जवाबदेही की कठोर नीतियों के चलते उजागर हो ही गया।
एक बार मे इतनी बड़े कर्ज की गारेंटी किसी भी बैंक अधिकारी में बिना भारी राजनैतिक संरक्षण के दिये जाने की हिम्मत हो ही नहीं सकती।
और संभवतः उसी दबाव में पीएनबी ने बड़े ही गुपचुप तरीके से इसे जारी कर दिया ?
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