Sunday 18 February 2018

घोखाधड़ी से से पैसा कमाना फक्र की बात समझी जाती, ।**

 * **
क्योकि में बेंकिग सिस्टम में रहा हूँ , आरबीआई की कार्यक्षमता और विश्वसनीयता का भुक्तभोगी हूँ ,29 प्रतिशत N P A को बदनीयती से 32 प्रतिशत काउंट कर अच्छा भली कार्यरत मित्रमंडल सहकारी बैंक को लॉक आउट कर देना इनके लिए खेल रहा ? #नीरवमोदी के केस में पंजाब नेशनल बैंक या #PNB द्वारा जारी एक LOU यानी Letter Of Understanding के माध्यम से PNB ने विदेशी बैंकों द्वारा नीरव मोदी को लोन मुहिया कराया। चूंकी नीरव मोदी जवाहरात की डील भारत के बाहर से करता था और उसका भुगतान भी डॉलर में होता था । बैंक ने उससे कोई गिरवी गारंटी मांगी जो उसके पास नही थी। बैंक के अधिकारी से सांठ गांठ करके उसने एज LOU बनवाया जिसमे बैंक ने विदेशी बैंक को ये swift भेजा की PNB इस लोन की जिम्मेदारी लेता है डिफ़ॉल्ट होने की स्थिति में लोन की भरपाई की जिम्मेदारी PNB की होगी। इस पर विदेशी बैंक ने नीरव मोदी को लोन दिया। उसके बाद जब इस लोन को भरने की स्थिति आई तो नीरव मोदी ने पहले के लोन से भी बड़े अमाउंट पर PNB से दूसरा लोन ठीक उसी प्रकार पास करवाया। दूसरे लोन से पहले लोन की भरपाई कर दी गई और बचा हुआ पैसा नीरव मोदी व बैंक के अधिकारियों की जेब मे चला गया। ये सिलसिला चलता रहा और लोन #रोलओवर होते रहे। बिना ज़ेब से एक भी पैसा लगाये नीरब मोदी का अरबों का कारोबार हो गया। जब 2017 में बैंक के मुख्य अधिकारी का रिटायरमेंट हो गया तो नए अधिकारी के सामने ये किस्सा आया। उसने नये लोन का रोल ओवर करने से इनकार कर दिया उस पर नीरब मोदी ने कहा आपसे पहले वाले अधिकारियों ने भी किया था इसलिये आप भी कर सकते हैं। नया रोल ओवर करने का कोई तुक नही था क्योंकि भुगतान के लिए कोई पैसा नही था। आनन फानन में FIR दर्ज कराई गई और बैंक अधिकारियों को लगा कि ये #280करोड़ का मामला है। असली बम तब फूटा जब किसी ने कहा कि सारे पुराने रोल ओवर की जांच की जाये की कुल कितने का रोल ओवर था..तब पता लगा की ये मामला 11,400 करोड़ का था। अब पूरा सिस्टम हिल गया। इस पैसे की recovary का कोई साधन नही , क्योंकि वापिस करने के लिए कोई पैसा था ही नही!!! यदि एक साधारण नागरिक 10000 रुपये का भी लोन लेने जाता है तो उससे गारंटी ली जाती है 10 तरह के कागज़ भरवाए जाते हैं लेकिन माल्या और नीरब मोदी के केस में अरबों रुपये बिना किसी गारंटी के दे दिए जाते हैं ये जनता का वो पैसा है जिसे वो सुरक्षित समझ कर बैंक के पास रखती है और कुछ भृष्ट लोग उसे मार्किट में बिना किसी गारन्टी के चला देते हैं। उन्हें आपके पैसे से नही अपनी जेब भरने से मतलब होता है ? किसी शातिर अधिकारी ने नीरब मोदी के साथ ये प्लान बनाया और बैंक को चूना लगाया। यहाँ तक की इस तरह की non funded libilities की सूचना RBI को भी दी जाती ? ,
बैंक अधिकारियों ने नोट बंदी में अंधाधुन्द पैसा कमाया , रिजर्व बैंक चोरी करने वालों को देख तो सकती लेकिन कर कुछ नहीं सकती क्योंकि उसके सरमायेदारों की मिली भगत बिना इतना बड़ा घोटाला संभव नहीं , हर रोज़ फ़र्ज़ी लोन बंट रहे हैं आपके आसपास लेकिन हर आदमी ये सोच कर नज़र अंदाज़ करता है कि ये उसका काम नही है। हर जगह फ्रॉड हो रहा है बैंकों में, इंशोरेंस में, योजनाओं में , टैक्स में ,कुछ भी अछूता नही है ?
घोखाधड़ी से से पैसा कमाना फक्र की बात समझी जाती, ।

No comments:

Post a Comment