राष्ट्रीय सेवक संघ कभी व्यक्तिवादी नहीं रहा न किसी व्यक्ति पर कभी निर्भर
होगा , वो एक विचार धारा है ! और इसीलिए , मोदी की व्यक्तिवादी राजनीती ,
कारपोरेट जगत से गहरी दोस्ती संघ को रास नहीं आ रही , अपने राजनैतिक
अंहकार के चलते जिस तरह मोदी ने एक और शिवसेना , अकाली ,नितीश से पल्ला
झाड़ना शुरू किया वही दूसरी और संघ के अनुवांशिक संगठनों विश्वहिंदू परिषद ,
स्वदेशी मंच , वनवासी आश्रम ,बजरंग दल संस्कार भारती , कॉमन सिविल
कोर्ट , हिन्दू राष्ट्रवाद ,आदि को लूप लाइन में डाल कमजोर कर दिया ! वो
समय दूर नहीं जब मोदी अपनी लोकप्रियता के बल पर , देश के अन्य राजनैतिक
दलों केसाथ साथ आर एस,एस के लिए भी चुनौती न बन जाये,और अमित शाह की
प्रलोभनकारी राजनीती की चासनी संघ के स्वयं सेवको को आदर्श , राजनैतिक
शुचिता सस्कार , निष्ठां हिन्दू राष्ट्रवाद ,देश प्रेम से दूर व्यक्तिवाद के करीब ले जाय ?
इसलिये भावी नेतृत्व हेतु ,नितिन गडकरी को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है ?
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