नोट बन्दी करने का सबसे सॉलिड कारण जो गिनाया गया था वह यह था, कि अर्थ व्यवस्था में कैश की तादाद काफी ज्यादा हो गयी हैं , यह खतरनाक स्तर तक बढ़ गया है , अत: नोट बन्दी कर कैश लेस अर्थ व्यवस्था की तरफ जाना जरुरी है , लेकिन नोट बन्दी को दो साल भी पूरे नही हुए है, ओर कैश का फ्लो नोट बन्दी के पहले से भी बहुत आगे बढ़ गया है ! अब सवाल यह खड़ा होता हैं कि नोट बंदी के समय सिस्टम में सिर्फ 7.8 लाख करोड़ की मुद्रा चलन में थी , और आज लगभग 19 लाख करोड़ की मुद्रा चलन में आ चुकी है ! ऋण देने को लेकर बैंकों की चिंताएं बढ़ रही हैं ,और तरलता के कड़े हालात को लेकर चिंता का माहौल हैं ! डिजिटल पेमेंट भी काफी बढ़े हैं ? तो यह सारी मुद्रा कहा चली गयी हैं , क्या सारी मुद्रा फिर ब्लैक मनी में तो नही बदल रही हैं !
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