Saturday 28 February 2015

chit me jitaa put tum haare

दिग्विजयसिंह जो चाहते थे शिवराजसिंहजी ने कर दिया राजा को मध्यप्रदेश में अपनी खोई जमीन की तलाश थी ,इसलिए उन्हें एक ऎसे ही किसी मुद्दे की दरकार थी जो उनकी दस साल की खामियों को भुलाकर जनता की सिम्पेति दिला दे। और वो जानते हे की इस देश की जनता भावना प्रधान हे यहां नेता जेल में ही पैदा होते हे और जेल जा कर ही कुर्सी सम्मान पाते हे महात्मागांधी से केजरीवाल तक ने यही किया। दिग्विजयसिंह पर १५ वषो
बाद झूठे मुकदमे दायर् करने का परिणाम कुछ हों न हो शिवराजजी ने भाजपा और जनता की नजर में अपने
आप को गिरालिया जिसका परिणाम आने वाला वक्त बताएगा। और दिग्विजयसिंह ने जनता की सहानुभूति
और मध्यप्रदेश कांगेस के स्वर्मान्य नेता का पद पा लिया जो उन्हें चाहिए था। दिग्विजयसिंहजी ने ऐसी चाल
चली की  चित में जीता पुट तुम  हारे।


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