Sunday 29 July 2018

इनके अच्छे दिन भी कभी आएंगे क्या यार ?

 
ब्राह्मण अब एक जाती नहीं रही पड़े पड़े लिखे बुध्दिजीवी , अति सहिष्णु स्वर्ण हिन्दुओ का वो मध्यमवर्ग है , जो अपनी आवश्यकताओ को समेटकर अपने आप में संतोष कर संकोच कर रहा जाता है , और सब कुछ सह जाता वो अपने आपको कभी किसी जाती या धर्म से भी नहीं बांध पाता , जरूरत पड़े तो दरगाह पर भी अगरबत्ती लगाए आता है , ये देश का ३० प्रतिशत वो वोट बैंक है जो असंगठित है लेकिन उनकी विचार धारा एक सी , जैसे आपस में जुडी हो , इसीलिये जिसके तरफ इनका झुकाव होता है उसकी हवा बन जाती लहर चल जाती और यह वर्ग भावनाओ में बहता है,! लेकिन बाद में सारी मुसीबत , सारा दुःख , सारी कठिनाई इसी वर्ग को उठानी पड़ती है ,? क्योकि गरीब , दलित किसान को मिले योजनाओ का भरपूर लाभ , आमिर को तो फर्क ही नहीं पड़ता जनाब ? मध्ययम वर्गीय दिन पे दिन फटे हॉल उसका कोई कर्जा माफ़ करे न ब्याज , इनके अच्छे दिन भी कभी आएंगे क्या यार ?

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