सामान शिक्षा ,सारे देश में ? अगर सरकार सारे देश में एक सामान टेक्स जी एस टी लगा सकती है तो , सारे देश में एक सामान शिक्षा क्यों नहीं कर सकती ? गरीब अमीर सब के बच्चे एक सामान अवसर पाएंगे , अमीरो के अलग स्कुल नहीं होंगे , तो मध्यमवर्गीय इनसे पर्तिस्पर्धा करते करते हैरान परेशान नहीं होंगे , आज हालात ये है देश में शिक्षा व्यापार से बढ़कर इंड्रस्टी बन गई ,और अब इससे भी बढ़कर सरकार बाहर की यूनिवर्सिटियों को यहाँ लाकर इसे शिक्षा की मंडी बनाने पर तुली है / जिसके पास जितने पैसे उतनी ऊंची शिक्षा समाज में वर्ग भेद की मूल जड़ , यही है ,. लेकिन यहां बिना फ़ीस भरे १५ प्रतिशत आरक्षणधारियो की सीट रिजर्व है , जिनकी फ़ीस मध्यमवर्गीय से वसूलता स्कुल प्रबंधन है ? महोदय सवर्णो के ये हाल है नई पीढ़ी बच्चे पैदा करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही \ समाज के हर तबके के पास पारम्पारिक व्यवसाय है लेकिन ब्राह्मण के पास पढ़ लिखकर नौकरी के सिवा कुछ नहीं है , सारी योजनाओ का लाभ गरीब ,किसानो , हरिजन आदिवासियों को और पूंजीपतियों का लोन पेनल्टी माफ़ कार्पोरेटर मित्रो को करोड़ो की खैरात , लेकिन मध्यमवर्गीय कहाँ जाए यार ?
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