कड़वा सच ?
राष्ट्रीय सेवक संघ कभी व्यक्तिवादी नहीं रहा न किसी
व्यक्ति पर कभी निर्भर होगा , वो एक विचार धारा है ! और इसीलिए , मोदी
की व्यक्तिवादी राजनीती संघ को रास नहीं आ रही , अपने राजनैतिक अंहकार के
चलते जिस तरह मोदी ने एक और शिवसेना , अकाली ,नितीश
से पल्ला झाड़ना शुरू किया वही दूसरी और संघ के अनुवांशिक संगठनों
विश्वहिंदू परिषद , स्वदेशी मंच , वनवासी आश्रम ,बजरंग दल संस्कार
भारती धारा 370 , कॉमन सिविल कोर्ट , हिन्दू राष्ट्रवाद ,आदि को लूप
लाइन में डाल कमजोर कर दिया ! वो समय दूर नहीं जब मोदी अपनी लोकप्रियता
के बल पर , देश के अन्य राजनैतिक दलों के साथ साथ आर एस, एस के लिए भी चुनौती न
बन जाये, अमित शाह की प्रलोभनकारी राजनीती की चासनी संघ के आदर्श ,
राजनैतिक शुचिता सस्कार , निष्ठां राष्ट्रवाद , राम मंदिर , को डूबा ले जाय ? इसलिये संघ भावी नेतृत्व हेतु ,नितिन गडकरी को आगे बढ़ाने का संध का निर्णय स्वागत योग्य है ?
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