कड़वा सच !
आरक्षण के तीर का दंश हर समाज जात बिरादरी को चुभ रहा है ! लेकिन समझदारी से समाज में वर्ग संधर्ष की स्थिति न बने अत: सभी वर्गो ने आरक्षण देने की 1957 में संविधान सभा के प्रस्ताव को सहर्ष स्वीकार किया था !, क्योकि आरक्षण एक अस्थाई व्यवस्था थी समय की मजबूरी थी क्योकि मुस्लिमो की तरह दलितों के लिए भी अलग राष्ट्र की मांग उठ रही थी ! और मुस्लिमो से सामना करने को दलितों का साथ तब भीं जरूरी था आज भी जरूरी है !
ये बात शाश्वत सत्य है की बिमारी का इलाज एन्टी बायटिक दवाई से होता है , लेकिन उसके साइड इफेक्ट को रोकना भी जरुरी होता है , आप समाज के दलित शोषित वर्ग हेतु एसी ,एसटी एक्ट बनाइये उन्हें सुरक्षा दीजिये , लेकिन उसे हिन्दू , मुस्लिम, सिख ,सिंधी वैश्य क्षत्रिय सहित अन्य वर्गो के लिए आतंक व् ब्लेकमेलिंग का पर्याय मत बनानाईये ! उसमे निर्दोष के लिये 5 लाख का मुआवजा झूठी शिकायतकर्ता से दिलवाइये , अन्यथा पांच वर्ष के सश्रम कारावास का प्रावधान जुडवाइये ! इसमें , एसी ,एसटी के लोगो को भी आपत्ति नहीं होनी चाहिये , और निर्दोष स्वर्ण को भी सुरक्षा मिलना चाहिये !
लेकिन इसके लिये जरूरी है सभी जाती के लोग अपनी संगठित शक्ति दिखाये प्रजातंत्र की गाडी का स्टेरिंग भीड़ तंत्र के हाथ होता है !और देश के भीड़ तंत्र ने एक बड़ी प्रजातांत्रिक क्रान्ती व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर इस उम्मीद से की है की मोदी में वो मादा है ! जो सत्ता की परवाह किये बिना लोकशाही में जनहित के क्रांतिकारी निर्णय ले सकते है, और उनकी लोकप्रियता को कोई सामुदायिक समीकरण प्रभावित नही कर सकता ! लेकिन बदले में नरेंद्र मोदी देश के आवाम को निराशा हताशा ,और एससी , एसटी एक्ट के लोगो की गुलामी स्वर्ण हिन्दू , ओबिसी और मुस्लिम को दे रहे , और अपने आपको स्वम्भू दलित सम्राट कहलाने के ख़्वाब संजो रहा !
आरक्षण के तीर का दंश हर समाज जात बिरादरी को चुभ रहा है ! लेकिन समझदारी से समाज में वर्ग संधर्ष की स्थिति न बने अत: सभी वर्गो ने आरक्षण देने की 1957 में संविधान सभा के प्रस्ताव को सहर्ष स्वीकार किया था !, क्योकि आरक्षण एक अस्थाई व्यवस्था थी समय की मजबूरी थी क्योकि मुस्लिमो की तरह दलितों के लिए भी अलग राष्ट्र की मांग उठ रही थी ! और मुस्लिमो से सामना करने को दलितों का साथ तब भीं जरूरी था आज भी जरूरी है !
ये बात शाश्वत सत्य है की बिमारी का इलाज एन्टी बायटिक दवाई से होता है , लेकिन उसके साइड इफेक्ट को रोकना भी जरुरी होता है , आप समाज के दलित शोषित वर्ग हेतु एसी ,एसटी एक्ट बनाइये उन्हें सुरक्षा दीजिये , लेकिन उसे हिन्दू , मुस्लिम, सिख ,सिंधी वैश्य क्षत्रिय सहित अन्य वर्गो के लिए आतंक व् ब्लेकमेलिंग का पर्याय मत बनानाईये ! उसमे निर्दोष के लिये 5 लाख का मुआवजा झूठी शिकायतकर्ता से दिलवाइये , अन्यथा पांच वर्ष के सश्रम कारावास का प्रावधान जुडवाइये ! इसमें , एसी ,एसटी के लोगो को भी आपत्ति नहीं होनी चाहिये , और निर्दोष स्वर्ण को भी सुरक्षा मिलना चाहिये !
लेकिन इसके लिये जरूरी है सभी जाती के लोग अपनी संगठित शक्ति दिखाये प्रजातंत्र की गाडी का स्टेरिंग भीड़ तंत्र के हाथ होता है !और देश के भीड़ तंत्र ने एक बड़ी प्रजातांत्रिक क्रान्ती व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर इस उम्मीद से की है की मोदी में वो मादा है ! जो सत्ता की परवाह किये बिना लोकशाही में जनहित के क्रांतिकारी निर्णय ले सकते है, और उनकी लोकप्रियता को कोई सामुदायिक समीकरण प्रभावित नही कर सकता ! लेकिन बदले में नरेंद्र मोदी देश के आवाम को निराशा हताशा ,और एससी , एसटी एक्ट के लोगो की गुलामी स्वर्ण हिन्दू , ओबिसी और मुस्लिम को दे रहे , और अपने आपको स्वम्भू दलित सम्राट कहलाने के ख़्वाब संजो रहा !
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