Sunday 24 December 2017

ब्राह्मण गौरव, भारत रत्न जो देश भक्ति को धर्मं का अंग मानते थे,?

ब्राह्मण गौरव, भारत रत्न जो देश भक्ति को धर्मं का अंग मानते थे, जो शिक्षा को जन जन तक पहुँचाना चाहते थे,  आज   दिसम्बर   ,  . पंडित मदन मोहन मालवीय,महामना {भारत रत्न }  की १५६ वीं जयंती है | महामना मालवीयजी ब्राह्मण गौरव के साथ देश के रत्न भी थे | उनके सिद्धांत ,उनकी सौच ,उनके विचारों ने उन्हें सदा महामना ही साबित किया | गरीबी,अशिक्षा को उन्होंने बचपन से ही काफी करीब से देखा और तभी से मानव सेवा ,समाज सेवा का जज्बा उनके भीतर जाग्रत हो गया था |देश-भक्ति को वे धर्मं का ही हिस्सा मानते थे,उन्होंने साम्प्रदायिकता का सदा विरोध किया और सामाजिक सदभाव तथा समरसता पर सदा जोर दिया और सदा इसी बात को दोहराया कि साम्प्रदायिकता के विष को कभी अपने भीतर पनपने ना दे | निरक्षरता को दूर करने और जन जन तक शिक्षा को पहुंचाने को संकल्पित महामना ,शिक्षा को देश की उन्नति की आधारशिला मानते थे |उन्होंने पदों का कभी लालच नहीं किया और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना अपने पुरुषार्थ से की |हिंदी के प्रबल समर्थक महामना का मानना था कि बिना हिंदी के ज्ञान के देश की उन्नति संभव नहीं |भारतीय समाज के लिए ,देश के लिए उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया ,ये बात और है तात्कालिक सरकारों ने उन्हें भारत रत्न से काफी देर से विभूषित किया,इसे हम विडम्बना ही कह सकते है |इस आदर्श व्यक्तित्व ने अपना समस्त धन ,भूमि ,शिक्षा और ज्ञान को सदा ही वितरीत किया जन समुदाय में | ऐसे महापुरुष की जयंती पर कल श्री गौड़ ब्राह्मण समाज दो बड़े आयोजन कर रहा है ,पहला आयोजन  प्रतिवर्षानुसार  महामना की रेती मंडी,राजेंद्र नगर इंदौर ,  स्थित प्रतिमा पर सुबह ९.३० बजे  माल्यार्पण और दूसरा दोपहर १२ बजे से पंडित मदन मोहन मालवीय समाज विद्या निकेतन लोहा मंडी  इंदौर पर   होगा , आप सभी  ब्राह्मण  समाजजन आयोजन में  सहभागी हो अपने आप को गौरान्वित करे ?   

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