Tuesday 26 December 2017

'' बकरे की माँ कबतक खेर मनाएगी '' '' बैंक तो जायेंगी,'' ?

 यदि  बैंक का  एन पी ए, तीस  प्रतिशत - हो जाय ?  तो रिजर्व  बैंक  लॉक आउट  कर देती है , लेकिन  राष्ट्रीयकृत  बैंको  का  एन पी ए,चोपन , पचपन  प्रतिशत  है ,और  लगातार बढ़ रहा है , ऊपर से नोटबंदी और जी एस टी  ने इसे  चरम पर  पहुंचाने  में कोई  कसर  नहीं की  सात  सौ   चौतीस लाख करोड़ रु  का एन पी ए, आर ,बी आय  की  बर्दाश्त के बाहर है,   कवर   नहीं किया जा सकता ?  हांलाकि , मिनिमम  बेलेन्स  पेनल्टी  ने बैंको  को संजीवनी  दी जरूर   है , लेकिन यदि कोई चमत्कार नही   हुआ तो  '' बकरे की  माँ  कबतक  खेर  मनाएगी  '' बैंक  तो   जायेंगी,''  तब  लोगो को  अक्ल  आएगी ?

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