Wednesday 8 April 2015

बर्बाद किसान बेहाल सरकार

प्राकृतिक  आपदा ने जहां  एक और किसान को बर्बाद किया  वही सरकार को बदहवास कर दिया क्योकि  इतना 
प्रबंधन करना वो भी लगातार  साल  दर  साल  क्योकि पर्यावरण असंतुलन के कारण प्रकृति  में  परिवतर्न कोई नई बात नही और इससे होने वाले नुक्सान की भरपाई आसान नही !इसलिए आवश्यकता हे कृषि को योजना 
बनाकर सामूहिक साशकीय या सहकारिता आधारित किया जाए !किसान को कृषि के अलावा अन्य प्रकार से 
स्वालंबी बनाने पर विचार कर इनका स्थाई हल खोजा जाये !मुआवजा विकल्प हे समाधान नही जापान ने भूकम्प जैसी त्रासदी निपटने का प्रबंध कर लिया !और कृषिप्रधान देश कृषि की प्राकृतिक आपदाओ से सत्तर साल से निपटने का रास्ता नही निकाल पाया आज भी किसान आत्महत्या पर मजबूर हे !क्या हो गया इस देश  के वैज्ञानिको  चिंतको बुध्दिजीवियों और सरकारों को  कहि ऎसा तो नही की सरकार में बैठे लोग भी साशकीय 
मश्नरी के साथ मुआवजे  के बंदर बाँट में भिड़े हो !क्योकि यह तो तय हे की पटवारियों से लेकर कलेक्टरों की 
बेमौसम आई दिवाली हे !

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